अदालत ने कहाँ समाज के मसले में हस्तक्षेप उचित नहीं
नागपुर: अग्रसेन समाज की कार्यकारणी चुनाव में नामांकन रद्द होने के बाद अध्यक्ष पद की उम्मीदवार उर्मिला अग्रवाल की याचिका मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका की थी। शुक्रवार को अदलात ने यह याचिका ख़ारिज कर दी है । उर्मिला अग्रवाल ने अपनी याचिका में चुनाव अधिकारी द्वारा उनका नामांकन निरस्त किये जाने को गलत ठहराते हुए अदालत से हस्तक्षेप की माँग की थी। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान न्यायाधीश बी पी धर्माधिकारी और न्यायाधीश एस एम मोहोड़ की दोहरी पीठ ने यह तर्क देते हुए की समाज के आतंरिक चुनावी मामले में अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती याचिका को निरस्त कर दिया।
दरअसल चुनाव अधिकारी के रूप ने नियुक्त किये गए एड भरत भूषण मेहाड़िया ने कलश पैनल से उम्मीदवार उर्मिला अग्रवाल का नामांकन रद्द करने का फ़ैसला किया था। उर्मिला ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए आवेदन किया था। समाज के संविधान के मुताबिक एक या उससे अधिक पदों के लिए आवेदन किया जा सकता है लेकिन अंतिम चुनावी प्रक्रिया के तहत सिर्फ एक पद पर चुनाव लड़ा जा सकता है। चुनाव कार्यक्रम के तहत निर्धारित तारीख तक नामांकन वापस लेना पड़ता है। बावजूद इसके उर्मिला अग्रवाल द्वारा ऐसा नहीं किया गया। जिस वजह से चुनाव अधिकारी ने चुनावी प्रक्रिया से ही उन्हें हटाने का फैसला लिया। इस फैसले के खिलाफ कलश पैनल पहले धर्मादाय आयुक्त कार्यालय में भी याचिका दाखिल की थी जो ख़ारिज हो गई जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली।
विरोधी तराजू पैनल से अध्यक्ष पद के उम्मीदवार संतोष आरएल अग्रवाल ने इसे सही फैसला ठहराया। संतोष के अनुसार चुनाव की प्रक्रिया नियम से चलती है। उच्च शिक्षित लोगो ने इस संविधान को तैयार किया है और जिन चुनाव अधिकारी के फ़ैसले को आज गलत ठहराया जा रहा है उनकी नियुक्ति सब ने मिलके कार्यसमिति की बैठक में की थी। तराजू पैनल से उपाध्यक्ष पद के ही उम्मीदवार संदीप अग्रवाल के मुताबिक कलश पैनल अपनी गलती को छुपाने के लिए आज समाज को अदालत की दहलीज तक ले गया जो बेहद गलत है। वही दूसरी तरफ कलश पैनल की नामांकन निरस्त प्रत्याशी उर्मिला अग्रवाल के मुताबिक उन्होंने अदालत में अपनी बात रखने का पूरा प्रयास किया।
सुनवाई के दौरान कलश पैनल की तरफ से एडवोकेट ए के गुप्ता,अतुल पांडे ने जबकि तराजू पैनल की तरफ से एड फिरदौस मिर्जा और नीलेश कायवाधे और मध्यस्त की ओर से वरिष्ठ वकील सुनील मनोहर ने पैरवी की।