Published On : Tue, Jan 24th, 2017

चुनाव के बाद मिलेंगे कार्यकर्ताओं को तोहफे

BJP

Representational Pic

नागपुर: नागपुर और मुम्बई महानगर पालिका चुनावों में यदि भारतीय जनता पार्टी एवं शिवसेना जीत दर्ज करती है तो दोनों पार्टियां अपने समर्पित कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत कर सकती हैं।

कैसे पुरस्कृत किए जाएंगे कार्यकर्ता
फरवरी से लेकर जून के मध्य राज्य में स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनाव होने वाले है.इन चुनावों के बाद एक बार फिर राज्यमंत्री मंडल का विस्तार या फेरबदल संभावित है। साथ ही इस कार्यकाल में पहली मर्तबा महामंडलों में नियुक्तियां होने वाली है.उक्त दोनों ही मसलों में सत्ताधारी पक्ष के लाभार्थ उत्कृष्ट योगदान देने वाले कार्यकर्ताओ को तरजीह दी जाएगी।

कड़ी परीक्षा

सत्ताधारी पक्ष को इन दिनों स्थानीय स्वराज संस्थाओं के चुनावों में कार्यकर्ताओं द्वारा कड़ी अग्निपरीक्षा ली जा रही है। खासकर मुम्बई और नागपुर जिले के चुनावों में सत्तापक्ष अपने-अपने राजनैतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं। सत्तापक्ष की पहली समस्या यह है कि टिकट एक और दावेदार दर्जन, इससे निपटने और साथ ही विरोधाभास रोकने के लिए चिंतन-मनन का दौर जारी है।

Gold Rate
28 Oct 2025
Gold 24 KT ₹ 1,21,000 /-
Gold 22 KT ₹ 1,12,500 /-
Silver/Kg ₹ 1,46,900/-
Platinum ₹ 60,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

दूसरी समस्या यह है कि सत्ता के भागीदार भाजपा और शिवसेना का गठबंधन पर तनातनी काफी अड़चन पेश कर रही है। दोनों पक्ष कार्यकर्ताओं की इस मांग से जूझ रहे हैं कि अकेले चुनाव लड़ा जाए। इसके पीछे कार्यकर्ताओं का सिर्फ टिकट पाने भर का सपना है। हालाँकि जानकर मानते हैं कि भाजपा और शिवसेना को कार्यकर्ताओं के मन की बात सुनने की बजाय नागपुर और मुम्बई में गठजोड़ कर ही चुनाव लड़ना चाहिए।

सूत्रों का कहना है कि यदि कार्यकर्ताओं की मेहनत से भाजपा या शिवसेना ज्यादा से ज्यादा महानगर पालिकाएं या जिला परिषद पर अपना झंडा फहराने में कामयाब हुईं तो पार्टी कुछ कार्यकर्ताओं को महामंडल में नियुक्त कर पुरस्कृत कर सकती है। सूत्र तो यहाँ तक दावा कर रहे हैं कि जिस मनपा या जिला परिषद में पार्टी पहले से सत्तासीन नहीं है लेकिन वहाँ सत्ता प्राप्त करती है और उस क्षेत्र में यदि भाजपा या शिवसेना के विधायक हैं तो उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। फ़िलहाल ग्रामीण इलाको में सत्तापक्ष के प्रमुख कार्यकर्ता स्नातक संकाय और शिक्षक मतदार संकाय के चुनाव में व्यस्त है।

एक सम्भावना यह भी
हो सकता है कि वर्ष २०१८ में राज्य की सत्ताधारी भाजपा पृथक विदर्भ के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी देकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को रिझाने का यह कहकर प्रयत्न करे कि दोबारा सत्ता मिली तो विदर्भ को पृथक राज्य बना ही देंगे।

Advertisement
Advertisement