नागपुर: विधानसभा चुनाव के पूर्व सत्ताधारी पक्ष अंतर्गत अस्तित्व की लड़ाई पुरजोर शुरू हैं.फिर चाहे भाजपा हो या शिवसेना।दोनों ही पक्षों का राज्य भ्रमण भी शुरू हैं,इस दौरान नित दिन मौका मिलते ही वॉर करने से नहीं चूक रहे.इसी क्रम में कल सेना के युवा सुप्रीमो आदित्य ठाकरे नागपुर में कार्यक्रम आयोजित था.जिसके उपरांत पत्रकारों ने ‘ईडी’ का डर दिखा कर सत्ताधारी पुनः सत्ता में आने की चाहत संबंधी सवाल दागा। तो तपाक से आदित्य ने कहा कि आखिरकार विपक्ष कहाँ हैं.
विपक्ष को अपनी सही मायने में भूमिका निभाने की इच्छाशक्ति हैं तो वे राज्य के किसानों,महिलाओं,बेरोजगारों व अन्य मुद्दों पर आक्रामक क्यों नहीं हैं ?
आदित्य का विपक्ष को ललकारने के साथ ही उन्होंने सत्तापक्ष में तथाकथित बड़े भाई भाजपा के मुखिया के नेतृत्व को भी ललकारा,वह यह कि उक्त ज्वलंत मुद्दों पर सरकार विफल रहीं,जिसे तरीके से विपक्ष भुना नहीं पा रहा.
राज्य में जब पहली मर्तबा वर्ष १९९५ में युति गठबंधन को बहुमत मिला था तब सेना प्रभावी था,उनके विधायकों की संख्या ज्यादा होने के कारण सेना का ही पूर्ण कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहा,भाजपा को उपमुख्यमंत्री सह बराबरी में मंत्रिमंडल स्थान दिया था.लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव बाद भाजपा केंद्र से लेकर राज्य में बड़ी जीत हासिल की और सहयोगी दलों के लिए फार्मूला ही बदल डाला। सहयोगी पक्षों को सम्मानजनक स्थान नहीं दिया।
पिछले लगभग ५ वर्षों में भाजपा व सेना के मध्य शाब्दिक उठापठक होती रही.केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के सह पर राज्य की भाजपा नेतृत्व ने सरकारी मशीनरी का उपयोग कर सहयोगी सह विपक्ष पर खुन्नस निकालने के फेर में नियमित व घातक राजकीय वॉर करते रहे.
आलम यह हो गया कि राज्य में राजनीत की परिभाषा ही बदल गई। भयभीत सेना भी कई दर्जन बार युति गठबंधन तोड़ने का हुल दे-दे कर हुल की हवा निकाल दी तो सम्पूर्ण विपक्ष सत्तापक्ष के समक्ष पूर्णरूपेण नतमस्तक हो चूका हैं.विपक्ष के कमजोर व मौका परस्त विधायक/जनप्रतिनिधि पाला बदल भाजपा प्रवेश अपना बचाव कर रहे.इस क्रम में एनसीपी खाली सी हो गई.दर्जनभर विपक्षी जनप्रतिनिधि पाला बदलने के कगार पर खड़े मौके की राह तक रहे.लेकिन सेना खून का घूंट पी कर सत्ता में कायम रही,उन्हें पता हैं कि सत्ता से दूर रहने पर कोई फायदा नहीं।
उधर सत्ता में रहकर अपमानित महसूस कर रही सेना के युवा सुप्रीमो का कहना एक प्रकार से सही भी हैं कि विपक्ष में बचा ही कौन,विपक्ष क्या कर रहा,कहाँ हैं यह किसी को नहीं पता.विपक्ष को सही में काम करना होगा तो वह किसान,महिलाओं,बेरोजगारी व अन्य मुद्दों पर आवाज क्यों नहीं उठती।
आदित्य विपक्ष से उक्त सवाल ने सत्तापक्ष को भी अप्रत्यक्ष रूप से खासकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व को ललकारा कि उनके कार्यकाल के लगभग ५ वर्षों में किसान,महिला व बेरोजगार का मुद्दा विकराल हुआ. अर्थात खासकर इन ज्वलंत सह जनहितार्थ मुद्दों पर सरकार विफल रही.शायद इसलिए आगामी विधानसभा के परिणाम विपरीत न हो इसलिए सरकारी मशीनरी का उपयोग कर विपक्ष को निपटाने का कार्यक्रम तेजी से जारी हैं.
उल्लेखनीय यह हैं कि विपक्षी दल चाहे एनसीपी हो या कांग्रेस उन्हें पिछले ४ -५ दशक में मिलजुल कर सत्ता सुख बटोरने का हर्जाना भुगतना पड़ रहा,आज उन्हें पछतावा तो हो रहा लेकिन संख्याबल की कमी उन्हें कुछ करने लायक नहीं छोड़ी।
अब उन्हें पृथक-पृथक राजनीत करने की बजाय एकत्र आने के शिवाय कोई चारा नहीं ……. ।
– राजीव रंजन कुशवाहा ( rajeev.nagpurtoday@gmail.com )