सभी उम्मीदवारो को अल्पसंख्यक वोट बैंक से उम्मीदें
अल्पसंख्यको का रुझान अभी साफ़ नहीं
सवांदाता / (मो.अजहरोद्दीन)
अचलपुर (अमरावती)। अचलपुर विधानसभा चुनावी क्षेत्र में कई दिग्गज अपना भविष्य आजमाने में लगे है. राजकीय व राष्ट्रिय पार्टियों से खड़े उम्मीदवारों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, आरपीआई, शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी व बहुजन समाज पार्टी, प्रहार संघटना व निर्दलीय के प्रत्याक्षी सभी दिग्गज है. सभी के सभी अपने हिसाब किताब से वर्चस्व रखते है. अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र में समाजो का भी उतना ही एक अपना रसूक देखा जाता है. सभी समाजों के एक दो-दो व कई सारे दिग्गज चुनावी मैदान में अपना कर्तब दिखने में महारत रखते है. आखिर कौन सा उम्मीदवार इन समाजो की कसोटी में खरा उतरता है. यह समीकरण अभी सोचने पर मजबूर करते है. अभी हाल यह है की मतदाताओं की सोच से अभी दुरी है परंतु 10 तारीख के बाद की तस्वीर क्या रूख अपनाती है यह देखने की बात रहेंगी. मतदाता विकास को प्राथमिकता देते है या अपने समाज को यह भी महत्वपूर्ण विषय रहेंगा.
अचलपुर विस निर्वाचन क्षेत्र में इस वर्ष दो देशमुख है जिसमें कांग्रेस के परचम तले बब्लू देशमुख और राकांपा से सुप्रीमो शरदचंद्र पवार ने पुर्व पालक मंत्री वसुधाताई देशमुख को मैदान में उतारा है. वही भाजपा का नया चहरा बनसोड़, शिवसेना ने राकांपा से आई पूर्व जिला परिषद अध्यक्षा सुरेखाताई ठाकरे को अपना प्रत्याक्षी बनाया है. इसके साथ आरपीआई ने जिला परिषद के सदस्य प्रताप अभ्यंकर को उतारा है. इस मैदान में पूर्व नगर अध्यक्ष हाजी मो.रफीक सेठ को बहुजन समाज पार्टी ने अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. पूर्व नगर अध्यक्ष अरूण वानखड़े खुद ही मैदान में कूदे है. इस सबके साथ प्रहार संघटना के विधायक रहे बच्चु कडु है. वही निर्दलीय के रूप में पूर्व नगर सेवक मो. साजिद भी पीछे नहीं है. विधानसभा 2014 में मुकाबला काटे की टक्कर से कम नहीं होंगा. जहाँ अल्पसंख्यक वोट बैंक पर अपना हक्क जमाने के लिए सभी नेता उम्मीदवार एढी चोटी का जोर लगा रहे है. रातों को गुप्त बैठकें ली जा रही है वहीँ अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए कई प्रकार के वादे एक दूसरे से डर बताने का काम रातों शुरू है. अपने आप को पार्टी का सक्रीय बताने में भी पिछे नहीं है. उसीके साथ उम्मीदवार एक तो ऐसे है जो अभी से अपने आप को मंत्री से कम नहीं समझते जैसे उन्हें मतदाता से कुछ भी लेना देना नहीं है.
निर्वाचन क्षेत्र में कई विकास के मुद्दे उठना बाकी है. शहर की सड़कों का हाल इतना बुरा है की यहां से गुजरना भी दुशवार हो जाता है. नालियों की हालत भी 50 वर्ष पूर्व जस की तस बानी हुई है. समाज एक तबका भाग ऐसा भी जो इसे लेकर फिकरमंद है. निर्वाचन क्षेत्र में सभी को जानकारी है कि किसने किस समय में कितना कार्य किया. मतदाता यह भी समझ रहे है की कौन किस पार्टी में आया और कैसे, कौनसा नेता किस का टिकट काट कर खुद ही हतियालिया, एक पार्टी से दूसरे पार्टी में आने के बाद वह पार्टी में सक्रीय कार्यकर्ताओं में किसी को पसंद नहीं किया गया और दूसरे आने वाले चहरे को टिकट दे दिया गया. साथ ही कौन आम आदमी का काम कितने तुरंत करता है या आश्वासन देता है. यह सब बातों को ध्यान में रखकर ही मतदाता अपना मत किसकी झोली में डालता है यह रोचक रहेंगा. उम्मीदवार मतदाताओं को रिझाते हुए गली-गली मोहल्लों में अपनी फिल्डिंग लगाते हुए दिखाई दे रहा है. इस विधानसभा चुनाव में मतदाता इतना बुद्धिमान बना हुआ है की वह अबकी बार पैसो से नहीं बल्कि उम्मीदवार की काबिलियत पर ही वोट देंगा.
