Published On : Wed, Jun 2nd, 2021

सीसी रोड टेंडर घोटाले के जाँच रिपोर्ट अनुसार कार्रवाई में देरी पर झल्लाए जोशी

Advertisement

– तीसरी दफे लिख मनपायुक्त,मुख्य अभियंता व प्रमुख लेखा-वित्त अधिकारी को पत्र और जताया संदेह

नागपुर: नागपुर मनपा प्रशासन कोरोना की आड़ में अन्य प्रमुख मामलों को सिरे से नज़रअंदाज कर रही,फिर चाहे घोटाले की जाँच हो या अन्य मामले।इस चक्कर में वे मनपा पदाधिकारी व पूर्व प्रमुख पदाधिकारियों के सूचना/पत्रों को तरजीह नहीं दे रही.मानो मनपा प्रशासन ने सत्तापक्ष की एक न सुनने की ठान ली हो.इससे घोटाले को शह देने वाले अधिकारी जो जाँच समिति के सदस्य हैं वे दोषियों को संरक्षण दे रहे.

Gold Rate
13 May 2025
Gold 24 KT 94,300/-
Gold 22 KT 87,700/-
Silver/Kg 97,300/-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

पूर्व महापौर संदीप जोशी के कार्यकाल में सीमेंट सड़क फेज-2 के तहत टेंडर सह भुगतान घोटाला सार्वजनिक हुआ था,जिससे क्षुब्ध होकर तब जोशी ने तत्काल एक जाँच समिति गठित की,तो आयुक्त ने इस समिति को गैरकानूनी ठहराते हुए रद्द कर नहीं जाँच समिति गठित की.जबकि इसके पूर्व आयुक्त,मुख्य अभियंता, प्रमुख लेखा व वित्त अधिकारी और तत्कालीन स्थाई समिति सभापति को RTI कार्यकर्ता ने मामले सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी सबूत सह दी थी लेकिन किन्हीं के कानों पर जूं नहीं रेंगा।

इसके बाद आयुक्त द्वारा मुख्य अभियंता के नेतृत्व में गठित समिति ने जाँच की बजाय मुख्य अभियंता के नेतृत्व में दोषी ठेकेदार और अधिकारियों को बचाने की मुहिम शुरू हुई.

इसकी भनक लगते ही पूर्व महापौर जोशी ने मनपा आयुक्त और मुख्य अभियंता को पत्र लिख अविलंब जाँच रिपोर्ट तैयार कर दोषियों पर मनपा कानून के तहत कार्रवाई करने की मांग की.

इस संबंध में जोशी ने 15 जनवरी 21,20 मार्च 21 और 28 मई 21 को पत्र लिख चुके हैं.

उनके अंतिम पत्र के अनुसार उन्होंने आयुक्त का ध्यानाकर्षण करवाया कि जाँच रिपोर्ट नुसार कार्रवाई में देरी का फायदा उठाकर अधिकारियों की मिलीभगत से BACK DATE में अंतिम भुगतान की फाइल तैयार कर वित्त विभाग तक पहुंचाई जा चुकी हैं.इसमें जाँच समिति के सदस्यों का सहयोग होने का आरोप लगाया गया.

जोशी की मांग हैं कि जल्द से जल्द जाँच रिपोर्ट सार्वजानिक कर उसकी समीक्षा कर नियमानुसार कार्रवाई की जाए.जब तक पूर्ण कार्रवाई नहीं होती,तब तक दोषी ठेकेदार को कोई भी भुगतान न किया जाए.

उक्त प्रकरण के प्रति सत्तापक्ष से एकमात्र पूर्व पदाधिकारी/वर्त्तमान पदाधिकारी/नगरसेवक का गंभीर होना भी कई सवाल खड़ा कर रहा हैं.क्या शेष मनापा प्रशासन और दोषी ठेकेदार व अधिकारी के पक्षधर हैं,क्या इसीलिए जाँच में रुकावट आ रही या फिर प्रशासन के जिम्मेदार पदाधिकारी असक्षम हैं ?

Advertisement
Advertisement