Published On : Fri, Nov 7th, 2014

यवतमाल : पूर्व मंत्री शिवाजीराव मोघे के पीए की एसीबी जांच

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आर्णी के प्रशांत से अधिकारी, ठेकेदार, संस्थाचालक थे परेशान

यवतमाल। कांग्रेस के जेष्ठ नेता तथा नागपुर के पूर्व पालकमंत्री एवं सामाजिक न्यायमंत्री शिवाजीराव मोघे के पीए तथा आर्णी निवासी प्रशांत अड़ेलवार की एसीबी ने जांच शुरू की है. जिससे अधिकारी, ठेकेदार, संस्थाचालक ने राहत की सांस ली है. यह सभी उससे बूरी तरह परेशान थे. सामाजिक न्याय विभाग द्वारा संचालीत सभी छात्रावास, स्कूलें और योजनाओं पर अमंल करनेवाले अधिकारी प्रशांत अड़लेवार से परेशान थे. मगर वे मंत्री का वरधहस्त उसके सिर पर रहने से कुछ कह नहीं पाए थे, मगर अब उन्होंने मुह खोलना शुरू कर दिया है. जिससे भविष्य में मंत्रीजी दिक्कतों में आ सकते है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान वह यवतमाल में ही रुका हुआ था. क्योंकि प्रचार के कुछ खर्चों की जिम्मेदारी उसपर थी.

राज्य के हर जिले के सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी उससे बेहद परेशान थे. जो काम कानूनी रूप से वैद्य नहीं है, उन्हें करने के लिए दबाव वह ड़ालता था. उसकी गिरफ्तारी के बाद सभी पीडि़त अब मुह खोलने लगे है. यवतमाल में जबभी उसका आगमन होता तो सारा खर्चा यहां के अधिकारियों को ही वहन करना पड़ता था. उसके इस जांच से पूर्व मंत्री महोदय भी अड़चण में आ सकते है. छात्रावास और स्कूलों की राशि मंजूर करवाने के लिए भी दक्षणा देने की बात हो रही है. इन छात्रावासों के बच्चों को कम्प्यूटर और व्यक्तिमत्व विकास तथा स्पर्धापरीक्षा का ठेंका देने के लिए ही उसी ने संबंधितों का चयन करने की बात भी सामने आयी है. प्रशांत से मिलकर जिन लोगों ने काम करवाया है. वे अब परेशान हो गए है. क्योंकि उसकी जांच करते-करते अधिकारी उनतक ना पहुंचे इसलिए वे डरे हुए है.

प्रशांत का मूलग्राम आर्णी है, उसके बच्चे पढ़ते है हाईफाई स्कूल पुट्टपूर्ति में प्रशांत वैसे यवतमाल जिले के आर्णी का निवासी है. उसने जब से शिवाजीराव मोघे जब-जब मंत्री बने तब-तब संबंधित विभागों से जो कुछ मिलता है, उससे अरमान से कमाई की. इसीलिए उसके बच्चे पुट्टपूर्ति की हाई-फाई स्कूल में पढ़ते है. उसने उसका रहने का ठिकाणा यवतमाल ही नहीं तो नागपुर, मुंबई, नाशिक, गडचिरोली आदि में बना रखा है. इन सभी स्थानों पर उसकी चल-अचल संपत्तियां होने की जानकारी भी मिली है. कथित तौर पर मंत्री मोघे के बड़े खर्चे की राशि जुटाने की जिम्मेदारी उसीके पास होती थी. इसीलिए यवतमाल में लोकसभा और विधानसभा के समय वह यही डटा हुआ था.

अधिकारियों से मगरुरी से पेश आना, उसकी स्टाइल थी. मोघे के करीबी कट्टर कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी उसके इस रवैये से परेशान थे. मगर मजबुरीवश उन्हें उसीके पास उनके काम करने के लिए जाना पड़ता था. कूल मिलाकर वह मंत्रीजी का खासमखास बन चुका था. उसी के बल पर वह ईशारों पर ठेकेदार, संस्थाचालक, अधिकारियों को नचाचा था.

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