मनपा मूल के अधिकारी और बाहरी दोनों में चल रही जोर आजमाइश
नागपुर: वर्षों से मनपा का जनसम्पर्क अधिकारी पद खाली पड़ा हुआ था. बावजूद इसके सहायक शिक्षक को प्रभारी जिम्मेदारी देकर प्रशासन ने जबरन समय बिताया. संबंधित अधिकारी के रिटायर होने के बाद अब एक बार फिर इस पद पर अपने पसंदीदा नुमाइंदे को बैठाने की होड़ अधिकारियों में लगी हुई है.
चर्चा है कि प्रभारी जनसम्पर्क अधिकारी इस पद पर कब्जा जमाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. जबकि दूसरी ओर स्मार्ट सिटी परियोजना के हाल ही में नियुक्त जनसम्पर्क अधिकारी खादी-खाकी के जोर पर इस पद को हथियाने की भरसक कोशिशों में हैं. इनके लिए स्मार्ट सिटी सीईओ अतिरिक्त आयुक्त पर लगातार दबाव बनाए जाने की जानकारी मिली है.
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार २-३ दिन पहले स्मार्ट सिटी सीईओ ने विभाग से सम्बंधित अतिरिक्त आयुक्त अज़ीज़ शेख से सिफारिश की कि स्मार्ट सिटी के जनसम्पर्क अधिकारी की नियुक्ति के पीछे का कारण यह है कि मनपा का प्रभारी जनसम्पर्क अधिकारी सेवानिवृत्त होने से रिक्त जनसम्पर्क अधिकारी पद को स्मार्ट सिटी के जनसम्पर्क अधिकारी संभालेंगे. जबकि इनका वेतन स्मार्ट सिटी परियोजना के खाते से दिया जाएगा. इसी आधार पर प्रस्ताव तैयार किया गया, इसे तत्काल मंजूरी देने की वकालत की गई.
मनपा गलियारों में चर्चा जोरों पर है कि स्मार्ट सिटी परियोजना का काम ज़मीनी स्तर पर शुरू नहीं हुआ है. यही वजह है कि परियोजना के सीईओ समेत पीआरओ मनपा का यह पद पाकर मनपा के काम में दखलअंदाजी लाना चाहते हैं. लेकिन अब सवाल यह है कि जब मनपा सभागृह में सत्तापक्ष ने सवाल उठाया था कि मनपायुक्त से ढाई गुणा स्मार्ट सिटी के सीईओ का वेतन कैसे है, जबकि स्मार्ट सिटी प्रकल्प मनपायुक्त के अधीनस्त कार्य कर रही है तो महापौर को मुंबई से पूरे राज्य का स्मार्ट सिटी परियोजना संभाल रहे उच्च अधिकारी ने जवाब दिया था कि मनपा और स्मार्ट सिटी परियोजना दोनों अलग अलग है. सिर्फ मनपा मुख्यालय में कार्यालय भर है.
दूसरी ओर मनपा के प्रभारी जनसम्पर्क अधिकारी के रिटायर होने के बाद स्थाई रूप से पद हथियाने को लेकर तत्काल प्रभारी जनसम्पर्क अधिकारी ललायित हैं. अब गेंद अतिरिक्त आयुक्त और मनपा प्रशासन के पाले में है कि वे दबाव के आगे झुकते हैं या फिर मनपा के किसी सक्षम मूल अधिकारी को स्थाई जनसम्पर्क अधिकारी नियुक्त करते हैं.
उल्लेखनीय यह है कि जनसम्पर्क अधिकारी पद का अनुभव न बाहरी को है और न ही मूल किसी अधिकारी को. दोनों को अपने अपने क्षेत्रों का अनुभव है. इस मामले में सत्तापक्ष सह विपक्ष और तो और महापौर की चुप्पी तरह तरह के सवाल खड़े कर रही है. इसके अलावा जनसम्पर्क अधिकारी पद के लिए मनपा में ठेकेदारी पद्धति पर पिछले २ वर्षों से नियमित सेवाएं दी जा रही हैं. समाचार संकलित कर रहे, अधिकारी-कर्मियों से नियमित संपर्क में रहने वालों पर विचार न किया जाना समझ से परे हैं,जो कि अनुभवी होने के साथ सक्षम साबित हो सकते हैं.