Published On : Thu, Aug 29th, 2019

बाहरी को 7वां तो स्थानीय को 6वां

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मनपा में वेतन मसले को लेकर दोहरी नित से क्षुब्ध मूल कर्मी

नागपुर: केंद्र सह राज्य में 7 वें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन दिया जा रहा।वहीं दूसरी ओर मनपा नागपुर में राज्य शासन के कर्मियों को मनपा खजाने से 7वां तो स्थानीय कर्मी सह अधिकारियों को 6वां दिए जाने से आम कर्मी कर्मियों में नाराजगी व्याप्त हैं। याद रहे कि मनपा प्रशासन ने मनपा की ठनठन आर्थिक स्थिति के मद्देनजर मनपा के मूल अधिकारी व कर्मियों को सातवां वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन देने से मना कर दिया लेकिन इसी खजाने से मनपा में तैनात लगभग 2 दर्जन अधिकारियों को 7 वां वेतन आयोग की सिफारिश अनुसार वेतन सह अन्य आर्थिक लाभ दिया जा रहा,जिस पर मनपा के मूल अधिकारी सह कर्मियों में काफी नाराजगी देखी जा रही,निसंदेह जिसका असर उनके कामों पर दिख रहा।

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क्षुब्ध अधिकारियों का कहना हैं कि जब मनपा कड़की में हैं तो बाहरी अधिकारियों को भी 6वें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन दिया जाना चाहिए था और 7वें वेतन आयोग का फर्क राज्य सरकार के मार्फत उन्हें दिया जाता तो समान न्याय हुआ होता लेकिन मनपा प्रशासन ने एक ही संस्थान में दोहरी नित अपना कर मनपा के मूल कर्मियों में रोष को हवा दे रही।

दूसरी ओर आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रख मनपा स्थाई समिति ने वर्ष 2019-20 का बजट पेश करते वक़्त 7वां वेतन आयोग की सिफारिश के तहत वेतन देने की घोषणा की तो साथ में यह भी जिक्र किया कि न 6वें और न ही 7वें वेतन आयोग का बकाया दिया जायेगा। घोषणा में यह भी साफ किया गया था कि 7वां वेतन आयोग की सिफारिश अनुसार अगस्त 2019 से वेतन दिया जायेगा,जिसके लिए बजट निर्माण के वक़्त कई प्रकार की कटौती भी की गई थी।

कल गुरुवार को मनपा के प्रभारी लेखा व वित्त अधिकारी ने अगस्त माह का वेतन 6वें अर्थात पुराने आधार पर तैयार करने की अधिसूचना जारी कर मनपा में हंगामा मचा दिया। हंगामा राजनैतिक रूप से विकराल होने के बाद अधिसूचना वापिस लेने को राजी हुए और आज अधिसूचना को रद्द करने का आदेश सभी विभाग प्रमुखों सह संबंधित विभागों को भेजा गया।

उक्त अधिसूचना के रद्द किए जाने के बावजूद कर्मियों में रोष इस बात का हैं कि क्या रद्द अधिसूचना के मतलब 7 वें वेतन आयोग की सिफारिश अनुसार अगस्त माह से वेतन मिलेंगा। या फिर प्रशासन फिर कोई बखेड़ा खड़ा कर कर्मियों को निरुत्साहित करेंगी। इस मसले पर सत्तापक्ष और तथाकथित कामगार संगठनों की चुप्पी समझ से परे हैं।

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