नागपुर: भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सोमवार को तीन उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने की सिफारिश की। कॉलेजियम के इस फैसले को न्यायिक नियुक्तियों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
जिन तीन न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश की गई है, उनमें शामिल हैं:
न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया, मुख्य न्यायाधीश, कर्नाटक उच्च न्यायालय
न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई, मुख्य न्यायाधीश, गुवाहाटी उच्च न्यायालय
न्यायमूर्ति अतुल एस. चांदूरकर, वरिष्ठ न्यायाधीश, बॉम्बे हाईकोर्ट
सरकार से अनुमोदन मिलते ही इनकी नियुक्तियां संविधानिक मंजूरी के साथ प्रभावी हो जाएंगी।
न्यायमूर्ति चांदूरकर: नागपुर से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
न्यायमूर्ति अतुल एस. चांदूरकर को 21 जून 2013 को बॉम्बे हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में उन्हें 2 मार्च 2016 को स्थायी न्यायाधीश बनाया गया। न्यायमूर्ति चांदूरकर ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय दिए, जिनमें मेडिक्लेम नीति, प्रशासनिक कानून, और आईटी नियम 2023 के संशोधन से संबंधित याचिकाएं प्रमुख रही हैं।
उनकी न्यायिक निष्पक्षता, सूक्ष्म कानूनी विश्लेषण और व्यापक दृष्टिकोण के लिए न्यायिक जगत में व्यापक सराहना होती रही है। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता बी.एन. नाइक के मार्गदर्शन में वकालत की शुरुआत की और बाद में नागपुर खंडपीठ में एक वरिष्ठ वकील के रूप में लंबे समय तक सेवाएं दीं। नागपुर में वकालत के दौरान ही वे बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायाधीश पद के लिए चुने गए।
विशेष टिप्पणी:
न्यायमूर्ति चांदूरकर की पदोन्नति को नागपुर की न्यायिक बिरादरी एक गौरव का क्षण मान रही है। उनके अनुभव और संतुलित दृष्टिकोण से सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक गुणवत्ता को नई ऊंचाई मिलने की उम्मीद की जा रही है।