Published On : Fri, Jan 30th, 2015

सोच वही, सरकार नई : नागपुर में राजनीति और भू माफिया की जुगलबंदी ने बदला अवतार

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नागपुर टुडे। नागपुर की जमीन पर राजनीति और रियल इस्टेट का नाता बहुत पुराना है. पूर्व आघाडी सरकार के प्रतिनिधियों से करीबी संपर्क की आड़ में भू माफिया कथित तौर पर सक्रिय हुआ था जो सरकार बदलने के साथ ही अब एक नए कलेवर में सामने आया है. इस क्रम में मनपा के नगरसेवकगण शहर के अग्रणी भू-माफिया कहलवाने लगे.समयानुसार सत्ताधारी पक्ष का नगरसेवकों का इस धंधे में महत्त्व बढ़ता गया.पिछले कुछ वर्षो से सत्ताधारी नगरसेवकों का इस धंधे एकाधिकार को नाकारा नहीं जा सकता है.कल तक कांग्रेस-एनसीपी का इस धंधे पर दबदबा था आज सत्ता बदलते ही भाजपा-सेना का राज शुरू हो गया. समय आने पर कांग्रेस के भू-माफिया एनसीपी वाले से टकराये,इसी तर्ज़ पर भाजपा के माफिया सेना परिजनों की जमीन हथियाने के लिए शक्ति झोंक दी. इस धंधे में पुलिस प्रशासन न्याय करने की बजाय दोनों और से लाभ उठा रही है.

आघाडी सरकार के वक़्त सजायाफ्ता आदि अपराधियो ने मार-पीट छोड़ नागपुर शहर समेत नागपुर जिले सह जिले के आसपास जमीनो की बढ़ती कीमत का भरपूर लाभ उठाने का मानस बनाया।इस धंधे में छोटे-बड़े अपराधी और इस अपराध जगत में कदम रखने वाले जमीन के खरीद-बिक्री के मामले में भीड़ कर अच्छाखासी कमीशन प्राप्त करने लगे.इस वक़्त तक सफेदपोशों की इस धंधे में एंट्री नहीं हुई थी.जब इन अपराधियो ने विवादस्पद जमीनों को अल्प कीमत में सौदा कर उसे बाजार भाव में बेचने की जब मंशा पर काम शुरू किये तो इन अपराधी से बने भू-माफिया ने जमीनों समबन्धी अड़चनों को निपटाने लिए सफेदपोश नेताओ को अपना पार्टनर बना लिया।इस नए समीकरण से सफेदपोश सह भू-माफिया फलने-फूलने लगे.इस क्रम में सफेदपोश नेता वह भी सत्ताधारी भू-माफिया और भवन निर्माताओ के संकटमोचक बन गए और अल्पावधि में करोड़पति और उससे भी कईगुना अधिक के असामी बन गए.अब तो यह आलम है की खुद को समाजसेवक कहलाने वाले सफेदपोश नेताओ पास इस धंधे के अलावा कोई वक़्त नहीं है, जहाँ भी दिखेंगे इर्द-गिर्द भू-माफिया या बिल्डर या फिर इसी धंधे से जुड़ा कोई न कोई जरूर दिख जायेगा।

आघाडी सरकार के दौरान शहर व जिले और आसपास के जमीनों का कारोबार बेजनबाग और हिंगणा रोड निवासी सफेदपोश के घर से चला करता था.पक्ष-विपक्ष,अधिकारी,नेता,बिल्डर,भू-माफिया सह जमीन मामले में विवादस्पद परिवारो का जमघट यही लगा करती थी.इसके अल्वा विपक्ष दिग्गज सफेदपोश भी अपने भू-माफियाओ के लिया दरबार में दस्तक दिया करते थे.सत्ताधारी इन सफेदपोश नेताओ ने अपनी जायज-अवैध सम्पति और उससे अर्जित धन इतना बना लिया है कि इनकी गणना जिले के पहले १० रईसो में गिनती हो रही है.दिखावे के लिए इन्होने कई अन्य सफेदपोश धंधे खोल उससे इनकम दिखा रहे है.

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अब जबकि सत्ता पलट गई भाजपा-सेना की सरकार सभी जगह विराजमान हो गई तो भाजपा के सफेदपोश नगरसेवक वर्ग ने धंधे को गले लगा लिया है.सत्ता बदलते ही जिले के क्रिमिनल भू-माफिया भाजपा नेताओ के करीब आ गए है.ये अपराधी कमजोर लोगो के परिवार की बेशकीमती जमीनो को अथियाने के लिए उनके घरो जबरन घुस गए है.पुलिस प्रशासन भाजपा नेताओ के शह के कारण गरीब परिवार को न्याय नहीं दिलवा पा रही है.उदाहरणतः धंतोली थाने में ऐसा एक मामला दर्ज हुआ है,इस परिवार ने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा लेकिन कुछ नहीं हुआ कियूंकि उक्त अपराधी का आका भाजपा नगरसेवक और मुख्यमंत्री खास है.क्या यही भाजपा की नित है.

मुख्यमंत्री को पत्र लेकिन कोई एक्शन नहीं

१८ जनवरी २०१५ को याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा कि मै शिवसैनिक हु,मेरे घर में नवंबर २०१४ में धंतोली तकिया का एक बदमाश ने जबरन घर के एक हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया है.मेरे परिवार को आयेदिन धमकाते रहते है.मेरे कार्यालय में भी हमला करने का प्रयास किया।वह बदमाश आये दिन भाजपा नगरसेवक जो आपके करीबी है उसका आशीर्वाद होने की जानकारी देकर परेशान कर रहा है. पत्र को भेजे ८ दिन बीत गए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होना,क्या इस अपराधी को मौन समर्थन है.

– राजीव रंजन कुशवाहा

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