Published On : Thu, Nov 27th, 2014

साहूकारों के चंगुल में फंसते कृषक!

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चंद्रपुर- यवतमाल जिले में किसानों को चपत
वरोरा में सक्रिय
चंद्रपुर : केन्द्र व राज्य सरकार ने तो किसानों के कर्ज माफ कर दिए लेकिन प्रकृति ने उन्हें साथ नहीं दिया। फलत: किसान पुन: कर्ज लेने को मजबूर हो रहे हैं, ऐसे में कुछ साहूकार सक्रिय होकर उन्हें अपने चंगुल में फंसा रहे हैं। इसी संदर्भ में वरोरा क्षेत्र के कई किसानों में बुधवार को प्रेस क्लब में एक पत्र परिषद में अपनी व्यथा बतायी। अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता रूपेश घागी पत्रकारों को सम्बोधित कर जानकारी दे रहे थे।

 

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उन्होंने आगे बताया कि किसानों से बंधक रखकर बिक्री पत्र पर हस्ताक्षर करवा लिए गए हैं जिससे चंद्रपुर व यवतमाल जिले के किसानों को इससे चपत लग चुकी है। वहीं अब वरोरा क्षेत्र में भी इसे मूर्त रूप देने एक साहूकारों की टोली सक्रिय हो गई है। इस अवसर पर भद्रावती तालुका के पीडि़त किसान वडगू गणपति भोयर, भीमराव दुलाजी बोरकर, वामन दादाजी काकड़े, रमेश बालाजी वांढरे, राजू नारायण ठमके, बापूराव नारायण ठावरी, विलास पाटील तर यवतमाल जिले से पुंडलिक महादेव खोंडे उपस्थित थे।

 

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उन्होंने आगे बताया कि पिछले कई वर्षों से किसान प्राकृतिक तथा सुलतानी संकटों का सामना कर रहे हैं। सरकार ने किसानों के ब्याज व कर्ज तो माफ कर दी है, मगर कालांतर में प्रकृति के साथ न देने से बैंक से लिए गए कर्ज की अदायगी नहीं हो सकी। इसलिए किसानों के समक्ष साहूकारों के द्वार पर जाने के सिवा कोई मार्ग ना था। करीब दो वर्षों से किसान साहूकारों से कर्ज लेकर उनके चंगुल में फंसे हुए हैं। शुरूआत में ये साहूकार किसानों को फांसने के लिए 2 प्रतिशत ब्याज का प्रलोभन देकर अपने हित साध लिए। जिससे किसान धीरे-धीरे इनके चंगुल में फंस गए। बैंक का कर्ज वापस कर पुन: 2 प्रतिशत की दर से कई किसान साहूकारों से कर्ज ले लिये। कुछ रकम वापस करने के बाद किसानों को तालुका के उपनिबंधक कार्यालय में बुलाया गया। सभी कागजातों के साथ किसान वहां पहुंचने के बाद अधिकारी ने सभी से हस्ताक्षर लिये। इस दौरान किसी भी किसान को कोई जानकारी नहीं दी गई। दलालों ने बाद में बताया कि उक्त हस्ताक्षर किए गए पत्र गिरबी पत्र हैं, मगर वह बिक्री पत्र था यह बात बाद में पता चली।

 

किसान जब लिये हुए कर्ज को वापस करने दलाल के पास गए तो यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो गई। इस धोखाधड़ी में भद्रावती तालुका के वडगू भोयर, भीमराव बोरकर, वामन काकड़े, नानाजी फकरू धांडे, जिजाबाई बालाजी वांढरे, नारायण नत्थू ठमके, बापूराव नारायण ठावरी, तात्याजी काकडे के साथ यवतमाल जिले के देवानंद महादेव झिले, पुंडलिक महादेव खोंडे आ गए। वडगू भोयर ने 50 हजार रुपये लिये थे। बाद में 7-12 से उसका नाम गायब हो गया था। भीमराव बोरकर ने 2 लाख रुपये 2 प्रतिशत की दर से लिया था, मगर उससे 10 लाख की मांग दलालों ने की। तात्या ने 1 लाख लिया था उससे भी 10 लाख देने की बात कही गई। इस धोखाधड़ी में करीब 48 किसान फंस गए हैं। अब जिला प्रशासन इस संदर्भ में सघन जांच कर किसानों को न्याय दिलाए और इन अवैध साहूकारों के कारोबार को खत्म करने का उपाय-योजना करे। पत्र परिषद में उपस्थित पीडि़त किसानों ने यह मांग की।  ऐसे में जो सवाल कौंध रहा है, उसे हम कतई दागना नहीं चाहते!
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