Published On : Sat, Jun 13th, 2015

यवतमाल: विदर्भ के 7 जिलों के भाजपाई निराश राज्य कार्यकारिणी में नहीं दिया स्थान

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Vidarbha Mapयवतमाल: जिस विदर्भ के भाजपाई विधायकों के बल पर राज्य में सत्ता हासिल की उसी विदर्भ के 7 जिलों के भाजपाईयों को राज्य कार्यकारिणी में स्थान नहीं दिया. जिससे भाजपा के चुने गये विधायक, अन्य जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ताओं में असंतोष व्याप्त है. उसका लाव्हा कभी भी फूट सकता है. इन सात जिलों में यवतमाल, चंद्रपुर, अकोला, वाशिम, वर्धा, गढचिरोली और गोंदिया का समावेश है. अकेले यवतमाल जिले से 7 में से 5 विधायक भाजपा के है. नाही उन्हें मंत्रीमंडल में स्थान मिला, नाहीं उन्हें राज्य कार्यकारिणी में लिया गया, मगर सत्ता के लिए उनकी संख्या के बल का खुबसुरत ढंग से उपयोग किया गया है.

जिन चार जिलों को राज्य कार्यकारिणी में स्थान मिला उसमें अमरावती, नागपुर, बुलडाणा और भंडारा का समावेश है. विदर्भ के 7 जिलों को वंचित रखने की बात का गहराई से टोह लेने पर पता चला कि, भाजपाई नेताओं की गुटबाजी का यह परीणाम है. प्रदेशाध्यक्ष रावसाहब दानवे ने 11 जुन को प्रदेश कार्यकारिणी घोषित की. जिसके बाद यह हकीकत सामने आते ही कई कट्टर भाजपाईयों के पैरों के तले से जमीन खिसक गई. 2014 के विधानसभा चुनाव के पहले यवतमाल जिले की 7 में 5 सीटें कांग्रेस की थी. उन सभी स्थानों पर भाजपा के उम्मीदवार बडे वोटों से जीतकर आये थे. फिर भी उन्हें अंगूठा बताया गया. अब जुलाई में राज्यमंत्रीमंडल का विस्तार होने की और उसमें नंबर लगेगा, ऐसा चॉकलेट इन विधायकों को दिया गया है.

भाजपा के कोटे से 7 लोगों को मंत्रीपद मिलनेवाला है. उसके लिए इन 7 जिलों में से एक-एक विधायक का तो भी नंबर लगाए ऐसी मांग की जा रही है. ना सरकार में ना पार्टी के कार्यकारणी में नंबर नहीं लग पाने से चुने गए विधायक भी संतप्त हो गए है. इतना ही नहीं तो विविध जाती के महामंडलों और पार्टी की उस जाती की आघाडी में स्थान दिया जाएगा, ऐसा और चॉकलेट दिया गया है. यवतमाल में शिवसेना के एकमात्र विधायक संजय राठोड़ चुनकर आए और वे राज्य राजस्वमंत्री भी बने और पालकमंत्री भी बने. मगर 5 विधायक चुनकर आने के बाद भी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें स्थान नहीं दिया. यवतमाल में केंद्र की सरकार को एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में वचनपूर्ति समारोह केंद्रीय राज्यमंत्री हंसराज अहिर के अध्यक्षता में आयोजित किया गया था. मगर वहां न के बराबर लोग पहुंचने से उसका झटका तो यवतमाल के विधायकों को नहीं मिला है, ऐसी चर्चा जोरों पर है. मगर इस फ्लॉप शो की दखल लेनेवाले पश्चिम विदर्भ के संगठन मंत्री रामदास आंबटकर को पदोन्नति देकर महासचिव बनाया गया है.