Published On : Thu, Jun 26th, 2014

मूल : शिक्षा की गंगा पहुंचाई गांव की गलियों तक

Advertisement


मूल का शिक्षण प्रसारक मंडल बन चुका है अब वट वृक्ष

मूल

Image (2)
ग्रामीण क्षेत्रों के सामान्य किसानों और खेत मजदूरों के बच्चों तक शिक्षा की गंगा पहुंचाने के उद्देश्य से महाराष्ट्र के जननेता और पूर्व मुख्यमंत्री दादासाहब कन्नमवार के नेतृत्व में दलित मित्र एवं सांसद स्व. वि. तु. नागरे ने मूल में शिक्षण प्रसारक मंडल की नींव रखी थी. इस संस्था ने न सिर्फ मूल तालुका, बल्कि जिले के ग्रामीण इलाकों के अशिक्षित लोगों को साक्षर बनाने के लिए प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक शिक्षा के दरवाजे खोल दिए. गांव के विद्यार्थियों को अपने गांव के नजदीक ही उच्च शिक्षा की सुविधा मुहैया कराने की दृष्टि से दादासाहब कन्नमवार की स्मृति में कर्मवीर महाविद्यालय की शुरुआत की. नागरेजी द्वारा रोपा गया छोटा सा पौधा अब वट वृक्ष बन चुका है और जिले तथा जिले से बाहर भी शिक्षा की रौशनी फैला रहा है.

विशाल, आधुनिक इमारत
नागरे जब वृद्धावस्था के कारण इस वट वृक्ष की जिम्मेदारी संभालने में दिक्कत महसूस करने लगे तो उन्होंने अधि. बाबासाहब वासाडे को यह जिम्मेदारी सौंप दी. उन्होंने भी अपने सारे राजनीतिक, सामाजिक कार्यों को करते हुए इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. इसी का परिणाम है कि संस्था इस दिनों नवभारत विद्यालय मूल की अधुनातन इमारत के निर्माण में जुटी है. इस भव्य तीन मंजिली इमारत में 105 कक्षाओं के कमरे, दो लिफ्ट, स्वतंत्र प्रयोगशाला, एनसीसी रूम, 4 कम्प्यूटर कक्ष, वेटिंग हॉल और स्वतंत्र प्रशासकीय कार्यालय बनाया गया है. ऊपरी मंजिल पर कनिष्ठ महाविद्यालय के लिए 24 रूम, ग्राउंड, विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए दमकल गाड़ी के घूमने लायक 20 फुट का रोड, विशाल प्रवेश द्वार तथा बाहर जाने के लिए अलग गेट भी इस इमारत में होगा. आगामी छह महीनों में यह बिल्डिंग लोकार्पित की जानेवाली है.

तकनीकी शिक्षा की सुविधा भी
इसके अलावा व्याहाड़, अंतरगांव, राजोली में भी विद्यालय की गुणवत्ता को बढ़ाने की कोशिश संस्था की ओर से की जाएगी. कर्मवीर महाविद्यालय में ग्रामीण विद्यार्थियों को विज्ञान के अध्ययन का अवसर उपलब्ध कराया गया है. पुणे-मुंबई के स्तर की तकनीकी पढाई की सुविधा यहीं उपलब्ध कराने की दृष्टि से बल्लारपुर में बल्लारपुर इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) की नींव रखी गई है. इस क्षेत्र में 20 वर्ष के अनुभवी संजय वासाडे बीआईटी के संचालक हैं. इंस्टिट्यूट को टेक्निकल कैंपस की मान्यता मिली हुई है और यहां से डिग्री लेनेवाले ग्रामीण विद्यार्थी अच्छी नौकरी का अवसर भी पा रहे हैं.