Published On : Wed, May 14th, 2014

चंद्रपुर : नेटवर्क का पता, न कवरेज की खबर

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मोबाइल कंपनियों के फेर में फंसा बेचारा ग्राहक


चंद्रपुर

Representational Pic

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चंद्रपुर जिला राज्य में एक औद्योगिक जिले के रूप में जाना जाता है. इसीलिए व्यवसायी भी इसे विदर्भ का सबसे बड़ा बाजार मानते हैं. मोबाइल कंपनियां भी इससे अछूती नहीं हैं. मोबाइल कंपनियों ने यहां के ग्राहकों को ‘कवर’ करने के लिए विभिन्न योजनाएं दी हैं, लेकिन अनेक कंपनियों का ‘नेटवर्क’ ठीक नहीं होने के कारण ग्राहकों को नाहक परेशानी का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं, पहले आसानी से मिलने वाले कनेक्शनों के अब कई-कई दिन तक नहीं मिलने से लोगों के सामने यह प्रश्न उपस्थित हो गया है कि आखिर वे जाएं तो कहां जाएं.

दावों के बीच कनेक्टिविटी का संकट
दरअसल लोगों को मोबाइल फोन की आदत डालने और अनेक प्रलोभन देने के बाद अब बढ़ती ‘कनेक्टिविटी’ के कारण मोबाइल कंपनियों के लिए ग्राहकों को सुविधाएं देना मुश्किल हो गया है. कई लोगों ने दो-दो, तीन-तीन सिम कार्ड ले रखे हैं. इतना ही नहीं, दिन ब दिन एंड्रॉइड मोबाइल का इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है. पुराने मोबाइल के बदले लोग नए-नए मोबाइल खरीद रहे हैं. मोबाइल अब लोन पर भी मिलने लगे हैं. ऐसी स्थिति में मोबाइल कंपनियां दावे तो अनेक करती हैं, मगर वे पूरे नहीं हो पाते.

कंपनियां कई, तकलीफ वही
वर्तमान में बाजार में बीएसएनएल, आइडिया, टाटा इंडिकॉम, टाटा डोकोमो, वोडाफोन, यूनिनॉर, रिलायंस और ऐयरटेल जैसी कई कंपनियां ग्राहकों को मोबाइल कनेक्शन दे रही हैं. कनेक्शन के साथ ही कंपनियां ग्राहकों को कॉलिंग और इंटरनेट के संबंध में विभिन्न प्रलोभन भी देती हैं. लेकिन ग्राहकों को हर जगह, हर समय नेटवर्क का कवरेज मिलेगा ही, इसकी कोई गारंटी भी नहीं हैं. कवरेज नहीं मिलने के कारण लोगों का अधिकांश समय हैलो-हैलो में ही गुजर जाता है. नया कनेक्शन देते समय ग्राहकों का ‘वेरीफिकेशन’ कर जल्दी से जल्दी कनेक्शन देने की मानसिकता भी कंपनियों की दिखाई नहीं देती. कंपनियां अब लोगों को उल्लू बनाने लगी हैं.

काम अलग, कंपनियां अलग
पहले मोबाइल के कनेक्शन, हैंडसेट और टावर उपलब्ध कराने का काम एक ही कंपनी के पास होता था. मगर बाद में ग्राहकों की संख्या बढ़ने और बाजार के मद्देनजर तीनों चीजें अलग – अलग कर दी गईं. इसलिए अब जो कंपनी कनेक्शन देती है, वह टावर नहीं लगाती. जो कंपनी टावर लगाती है वह ग्राहक नहीं देखतीं, बल्कि उसे ग्राहकों से कोई लेना- देना भी नहीं होता. एक के संबंध में पूछने पर वह दूसरे की तरफ़ उंगली उठा देती है. दूसरे से पूछो तो वह किसी तीसरे की तरफ़ हाथ बता देती है. ऐसे में ग्राहक बेचारा कंपनियों के फेर में फंस जाता है. शायद इन दिनों यही उसके भाग्य में भी है.