Published On : Wed, Aug 20th, 2014

गडचिरोली : ‘हमें नक्सली बन जाने दें’

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गोंडवाना विद्यापीठ के विद्यार्थियों की सरकार से गुहार


गडचिरोली

Want to be naxal ( Gadchiroli)
समाज सुधारक फाउंडेशन ने कहा है कि अगर सरकार गोंडवाना विद्यापीठ को ठीक से नहीं चलाना चाहती, स्थानीय और आदिवासी युवाओं को पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़े होने देना नहीं चाहती तो हमें नक्सलवादी बन जाने दीजिए. हमें उन्हीं में शामिल हो जाने दीजिए, ताकि युवाओं को दो वक्त की रोटी तो सम्मानजनक ढंग से मिल सकेगी.

शिक्षा बीच में छोड़ने की नौबत
फाउंडेशन ने कहा है कि विदर्भ के चंद्रपुर और गडचिरोली जिले नक्सली जिले माने जाते हैं. उसमें भी गडचिरोली अति दुर्गम और आदिवासी जिला है. इस क्षेत्र के विद्यार्थियों का शैक्षणिक स्तर ऊंचा उठाने और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने की दृष्टि से यहां गोंडवाना विद्यापीठ की स्थापना की गई. आर्थिक प्रावधान भी किए गए. मगर विद्यापीठ की स्थापना को दो साल बीत जाने के बावजूद यहां उचित शैक्षणिक सुविधाएं नहीं मुहैया कराई जा रही हैं. विद्यार्थियों के लिए यहां से शिक्षा ग्रहण करना मुश्किल होता जा रहा है. ऊपर से फीस भी अनाप-शनाप वसूल की जा रही है. ऐसे में अनेक विद्यार्थियों के लिए शिक्षा बीच में छोड़ने की नौबत आ गई है. अगर सरकार विद्यापीठ में शैक्षणिक सुविधाएं नहीं दे सकती तो कम से कम हमें नक्सलवादी बन जाने दीजिए.

फाउंडेशन की मांगें
फाउंडेशन ने अपनी मांगों में कहा है कि गोंडवाना विद्यापीठ में उचित शैक्षणिक योग्यता रखने वाला पूर्णकालिक कुलगुरू नियुक्त किया जाए, गोंडवाना विद्यापीठ का उपकेंद्र चंद्रपुर शहर में खोला जाए, विद्यापीठ के पाठ्यक्रमों का शैक्षणिक शुल्क अन्य विद्यापीठों के अनुसार तत्काल घटाया जाए, पुराने विद्यार्थियों के लिए आवश्यक नई माइग्रेशन फी गरीब विद्यार्थियों के लिए भरना मुश्किल होने के कारण उसे तत्काल बंद किया जाए, विद्यार्थियों को शैक्षणिक सहूलियतें देना आरंभ किया जाए, दूसरे विद्यापीठों की तरह ही विद्यापीठ कैंपस की सुविधा मुहैया कराई जाए, उचित और योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की जाए, टीईटी परीक्षा रद्द की जाए, विद्यापीठ के परीक्षाफल 45 दिनों के भीतर घोषित किए जाएं और पुनर्मूल्यांकन शुल्क कम किया जाए तथा बेरोजगार विद्यार्थियों को केंद्र सरकार की योजनाओं की जानकारी के साथ ही उन्हें उसे हासिल करने में मदद की
जाए.