नागपुर -किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं को रोकने के लिए सभी सरकारों ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए समितियां गठित की थीं। लेकिन कोई भी सरकार किसान आत्महत्या रोकने में सफल नहीं हो पायी है। पहले भाजपावाले कर्जमाफी की मांग करते थे और अब कांग्रेस के नेता कर्जमाफी की मांग कर रहे है। किसान आत्महत्या रोकने में किसी को भी दिलचस्पी नहीं है।
किसान आत्महत्या के मुद्दे का केवल राजनीति लाभ उठाने के िलए उपयोग हो रहा है। यह आरोप किसान नेता और ज्येष्ठ विचारक चंद्रकांत वानखेड़े ने सरकार पर लगाया है। शनिवार को नाग विदर्भ चेंबर ऑफ कॉमर्स में एग्रोवेट एग्रोइंजी मित्र परिवार की ओर से किसानों की कर्जमाफी पर चर्चासत्र का आयोजन किया गया था। जिसमे यह चर्चा की गई कि किसानों को सरकार की ओर से अगर कर्जमाफी दी गई तो क्या उनकी आत्महत्या करने का सिलसिला रुकेगा या फिर किसानों को विकल्प के तौर पर सरकार को कुछ सोचना चाहिए। इस दौरान डॉ. सी. डी. माहिय, डॉ. एन. एस. झाड़े और उद्योजक अरविंद बागड़े ने भी अपने विचार उपस्थित श्रोताओं के बीच रखे।
वानखेड़े ने आगे कहा कि कई लोग किसान आतमहत्या रोकने के लिए किसानों को खेती का तरीका बदलने का सुझाव देते हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि उनसे ज्यादा किसानों को इस बात की जानकरी होती है कि उसे क्या बोना चाहिए और किस फसल से उनको लाभ पहुंचेगा।
वानखेड़े ने अपना सुझाव देते हुए बताया कि कर्जमाफी से कुछ वर्षों तक किसान आत्महत्या में कमी आ सकती है। इस दौरान उन्होंने सीलिंग और अनाज के भाव नियंत्रण को लेकर भी सरकार की खिंचाई की। चर्चासत्र में मौजूद उद्योजक अरविन्द बागड़े ने बताया कि दूध ,तुअर दाल, मसाला उत्पादन में हम लगातार उन्नति कर रहे हैं। लेकिन किसानों की उन्नति नहीं हो पा रही है। सरकार किसानों के लिए उपाय योजना तो करती है लेकिन वह योजना कारगर साबित नहीं हो पाती।