नागपुर टुडे
कामठी-कोराडी-मौदा विधानसभा के जनप्रतिनिधि की हालात ठीक वैसी ही है जिस तरह से लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ वातावरण तैयार हुआ था.वर्तमान विधायक से मतदाता खासे नाराज़ बताए जा रहे हैं. केंद्र की तरह यहां भी जनता मजबूत उम्मीदवार की तलाश में है.अब यह कांग्रेस यानि मुकुल वासनिक पर निर्भर है कि किसे मैदान में उतार कर अपनी योग्यता सिद्ध करते है.
४५० बूथ वाली कामठी-कोराडी-मौदा विधानसभा में 1.२५ लाख कुनबी,दलित-तेली-मुस्लिम ६०-७० हज़ार आदि मतदाता हैं. कुनबी की संख्याबल अधिक होने के बावजूद बीते एक दशक से यहां तेली समाज का विधायक है.यानि यहां जातिगत समीकरण की बजाय सूझबूझ से चुनाव को तरजीह दी गई. इस विधान सभा सीट पर वर्तमान भाजपा विधायक चंद्रशेखर बावनकुले हैं लेकिन अब जनता बदलाव के मूड में है, हालांकि कोई भी पार्टी सक्षम उम्मीदवार नहीं उतार पा रही है जिसके कारण जनता यहां लगातार गिरते राजनैतिक स्तर से त्रस्त हो चुकी है.
भाजपा इस बार भी वर्तमान विधायक बावनकुले को तीसरी दफे मौका देकर जनता से नाराज़गी मोल लेगी।लेकिन उम्मीदवार बदलने की हिमाकत नहीं करेगी,वैसे भी बावनकुले के कार्यकाल में दूसरा भाजपाई नेता उभर के सामने नहीं आ पाया। लोकसभा चुनाव में बसपा और आम आदमी पार्टी ने भी अच्छा-खासा मत संग्रह कर विधानसभा क्षेत्र में अपने मजबूत होने का एहसास करा दिया है.
कांग्रेस के पास उम्मीदवारों की लम्बी फेरहिस्त है.जिनमें शकूर नागानी, सुरेश भोयर, प्रसन्ना तिड़के आदि टिकट के लिए प्रयासरत हैं. वहीँ ऊर्जा राज्यमंत्री राजेंद्र मूलक और जिला परिषद सदस्य नाना कम्भाले विशेष अवसर वाले कांग्रेस उम्मीदवार हो सकते हैं.
इन दिनों सुरेश भोयर के बारे में यह चर्चा आम है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट इनके सिवाय किसी को नहीं मिलेगी। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि भोयर के लिए मुकुल वासनिक का गुट और सांसद अशोक चव्हाण के दामाद लॉबिंग कर रहे हैं, जो कि भोयर कॉलेज का प्राचार्य भी हैं. दोनों अपनी-अपनी जगह काफी मजबूत है.भोयर का विरोध देवराव रडगे-पुरुषोत्तम शहाणे-हुकुमचंद आमधारे गुट कर रहा है, भोयर द्वारा की जा रही गुटबाजी से क्षुब्ध सभी भोयर को छोड़कर किसी को भी उम्मीदवार बनाने पर राजी हैं लेकिन वे किसी भी सूरत में भोयर को टिकट दिए जाने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं.
वही नागानी और तिड़के दोनों मूलक गुट के हैं. नागानी इस इलाके के सबसे बड़े विश्वासपात्र हैं तो तिड़के मूलक मित्रमंडली के सदस्य हैं. नागानी कामठी के बाहर सक्रिय नहीं और चुनावी खर्च के मामले में संकुचित है.और तिड़के जिलापरिषद नहीं जीत सकते तो विधानसभा चुनाव जीतना अभी दूर की कौड़ी है.
कामठी के राजनीतिक जानकारों का मानना है किस्था नीय उम्मीदवार नहीं दिए तो राजेंद्र मूलक को कामठी-कोराडी-मौदा विधानसभा से उतारा जाये,यह बावनकुले के खिलाफ सबसे उत्तम उम्मीदवार साबित होंगे ।अगर नहीं तो कांग्रेस का स्थानीय जिला परिषद सदस्य नाना कम्भाले जैसे नए उम्मीदवार को मौका देकर कांग्रेस सह वासनिक ने नया प्रयोग करना चाहिए।कम्भाले और बावनकुले की वैचारिक लड़ाई इस क्षेत्र की सबसे पुरानी और जानदार लड़ाई है.खुद बावनकुले का भी मानना है कि उनकी राजनीति को सबसे ज्यादा खतरा कम्भाले से है ,उन्होंने अपने स्तर से कई बार समझौता करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी.कम्भाले प्रमुख है और तालुका के सभी गुट के नेताओ के चहेते हैं. बावनकुले समर्थको का मानना है कि उन्हें कोराडी से ही कम्भाले पछाड़सकते हैं.
इस क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस -राष्ट्रवादी ने समय की नजाकत को ध्यान में रखते हुए यह भी राय दी है कि विधानसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन कर उन्हें न जीत पाने वाले १०-१२ सीट दे कर बसपा वोट बैंक को अपनी ओर करना चाहिए जो की लाभप्रद साबित होगा।