शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे से सकारात्मक आस स्थानीय शिवसेना उम्मीदवार ढाह सकता है एनसीपी का गढ़
नागपुर टुडे
काटोल विधानसभा नागपुर जिले का सबसे दूरदराज इलाका है,इस विधानसभा में नरखेड़ सह काटोल नगरपरिषद का समावेश है.यह क्षेत्र संतरा और अखबारों के लिए जाना जाता है.यहाँ का संतरा निर्यात होता है और यहाँ पर सबसे ज्यादा स्थानीय अख़बार निरंतर निकलते है.यानि दोनों ही वयवसाय फलफूल रहा है.उसी तरह इस विधानसभा की राजनीति में बिना किसी हस्तक्षेप के वर्षो से एक ही ढर्रे पर चले आ रहे है.क्षेत्र के मतदाता भी हर बार एक ही पहाड़ा(कहानी) बोर से हो गए है,आगामी विधानसभा चुनाव में बदलाव चाहते है.
काटोल विधानसभा क्षेत्र आघाडी अंतर्गत एनसीपी और युति अंतर्गत शिवसेना के कोटे में आता है.लेकिन वर्षो से शिवसेना सक्षम सह स्थानीय उम्मीदवार नहीं उतारने के कारण हर बार एनसीपी उम्मीदवार अनिल देशमुख बड़ी आसानी से विधायक बनते रहे है.स्थानीय जानकारों का मानना यह है कि शिवसेना से सौदा-समझौता कर एनसीपी उम्मीदवार अपने खिलाफ कटोल क्षेत्र के बाहरी शिवसैनिक/गैर शिवसैनिक को उम्मीदवार बनवाते रहे है.इस तकनीक का फायदा उठाकर एनसीपी विधायक सह मंत्री अनिल देशमुख काटोल में एकतरफा राज देखने को मिलता है.फिर चाहे कांग्रेसी हो या फिर भाजपाई,सभी का एक राग अनिल बाबू-अनिल बाबू.
अनिल बाबू ने भी शुरू से अपने सम्पूर्ण कार्यकाल में काटोल के बाहर ठीक से झांक कर नहीं देखा,जो भी किया काटोल के लिए किया. एनसीपी ने उन्हें नागपुर जिले का जिम्मा दिया लेकिन वे अधिकांश समय काटोल समर्पित रहे. इसलिए एनसीपी नागपुर जिले में फलफूल नहीं पाई. शायद यही वजह है कि कभी किसी प्रकार के विवादों नहीं फँसे. काटोल में भी सभी पक्ष-गुट के पालक के रूप में आजतक टिके रहे इसलिए अनिल बाबू चुनाव में हर पक्ष के कार्यकर्ताओ ने अपने स्वार्थपूर्ति के लिए हमेशा अनिल बाबू का साथ दिया. अनिल बाबू भी स्थानीय राजनीति-चुनाव से कोसो दूर रहे. अब जनता कुछ ज्यादा ही जागरूक समझने लगी है,और ज्यादा अच्छे -उत्थान के लिए राजनैतिक बदलाव चाहते है. यह बदलाव सिर्फ शिवसेना ही ला सकती है. बदलाव के लिए सभी शिवसैनिकों की निगाह नवनिर्वाचित शिवसेना सांसद कृपाल तुमाने से है. अब तुमाने को सिद्ध करना होगा उनकी गुणवत्ता वर्ना शिवसेना की राजनीति से कम से कम काटोल से विधानसभा चुनाव से ही उखड़ जायेंगे.
काटोल विधानसभा सीट शिवसेना से छिनने के लिए भाजपा अंतर्गत विचार हिचकोले खा रही है. भाजपा सूत्रों की माने तो काटोल के बदले भाजपा सावनेर छोड़ेगी ,काटोल हाथ में आते ही चरणसिंग ठाकुर को उम्मीदवार बनाने पर मंथन चल रहा है.
वही जिले शिवसैनिक की मंशा यह है कि इस बार विधानसभा चुनाव में जिलाध्यक्ष राजू हर्णे को मैदान में उतारा जाये,यह एकमात्र उम्मीदवार है जो अनिल बाबू को कड़ी टक्कर देकर घर भी बैठा सकता है. इसका साथ देने वालो में अनिल बाबू के अबतक के समर्थक रहेंगे. वैसे सूत्र बतलाते है कि राजू हर्णे को विधानसभा टिकट देने का पुख्ता अश्वासन दिया गया है. अब सांसद तुमाने पर निर्भर है हर्णे के नाम पर मुहर मरवाना.
शिवसेना की टिकट के लिए पूर्व सांसद प्रकाश जाधव और बागी शिवसैनिक सुबोध मोहिते प्रयासरत है,वही टिकट की दौड़ में युवा शिवसैनिक संदीप इटकेलवार भी रहने की उम्मीद है ,सभी बाहरी उम्मीदवार है,लेकिन सभी का काटोल से पुराना तालुकात है.
जाधव को ठिकाने लगाने में जुटे तुमाने
शिवसेना के पूर्व जिलाध्यक्ष व पूर्व सांसद प्रकाश जाधव ने शुरुआत से ही कृपाल तुमाने को लोकसभा की टिकट देने का विरोध किया. अपनी तगड़ी पहुँच न होने के कारण राजू पारवे जैसा हर मामले में सक्षम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिलवा सका.फिर फिर जब तुमाने को टिकट मिली तो काफी मिन्नतें करने के बाद खुश करने पर घर से निकले ,और नकारात्मक प्रचार करते रहे,जैसे-तैसे समय कटता गया,जनता-शिवसैनिकों ने तुमाने को सांसद बना दिया।लेकिन जाधव द्वारा दिए गए दुःख-दर्द से तुमाने उभर नहीं पाये ,भविष्य में दोबारा राजनैतिक तकलीफ न होने पाये इसलिए ठिकाने लगाने में जुटे हुए है.