सावनेर
इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां अभी से सभी दलों ने शुरू कर दी है. चर्चाएं होने लगी हैं. मोर्चा बंदी आरंभ हो गई है. विधायक सुनील केदार के संबंध में अभी से कहा जाने लगा है कि उन्हें इस बार अपना गढ़ बचाना बड़ा मुश्किल होने वाला है.
लोगों की नजरें भाजपा उम्मीदवार पर टिकी हुई हैं. तय इसी से होगा कि भाजपा इस बार किसे टिकट देती है. पिछले दो चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों ने सुनील केदार की नाक में दम कर रखा था. पहले देवराव आसोले से केदार हारे और पिछले चुनाव में आशीष देशमुख से महज दो हजार मतों से ही वे जीत सके थे.
लोकसभा चुनाव में दिखाई दी कांग्रेस विरोधी लहर, सत्ता परिवर्तन की बहती हवाएं, जिला केंद्रीय बैंक का घोटाला, बैंकों की बकाया रकम प्राप्त करने के लिए खाताधारकों की भागदौड़, राष्ट्रीय महामार्ग के निर्माण से किसानों के समक्ष आ रही समस्याएं, सावनेर नगर पालिका के अध्यक्ष पद को लेकर हुआ विवाद जैसे अनेक मुद्दे उनके सामने सिर उठाए खड़े हैं. सावनेर क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए अपर्याप्त प्रयास, 5 साल में भी अधूरा पड़ा ट्रॉमा सेंटर और 200 बिस्तरों का अस्पताल जैसे कई मुद्दे हैं, जिनके जवाब लोग उनसे मांगेगे ही. जिला सहकारी र्बैक के 153 करोड़ के घोटाले के चलते कांग्रेस उन्हें इस बार टिकट देगी भी या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है.