Published On : Fri, Apr 18th, 2014

आमगांव: बस स्थानक को लेकर आमगांव में भ्रम की स्थिति

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नियंत्रण कक्ष तैयार है, मुख्य बस स्थानक का पता नहीं 

यात्रियों की सुविधाओं का कोई ठिकाना नहीं   

Pic-4आमगांव.

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आमगांव में पिछले तीस वर्षो से यात्रियों की सुविधा के लिए सुविधापूर्ण एक बस स्थानक की मांग का अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों ने ऐसा मजाक बनाया है कि अब यहां इसकी चर्चा हास-परिहास का विषय बन कर रह गया है. यहां के बस स्थानक का कामकाज पिछले ३० वर्षों से स्थानिक उद्योगपति  बंसीधर अग्रवाल की नामांकित जमीन के बिल्डिंग पर किराए से चलाई जी रही थी. स्थानीय जनता के बढ़ते रोष को देखते हुए 15 वर्ष पूर्व शासन की ओर से मुख्य बस स्थानक के लिए यहां जमीन और निधि तो उपलब्ध करा दी गई, लेकिन पूरे दस वर्षों बाद 2011 बाद ही निर्धारित जगह सालेकसा रोड पर बस स्थानक के नाम पर केवल शेड का निर्माण हुआ. बस स्थानक के नाम पर यह बस पड़ाव ही बनकर रह गया.

स्व. लक्ष्मणराव मानकर गुरुजी के सफल प्रयासों से आमगांव शहर की पूर्व में पूरे राज्य में कुछ पहचान बनी थी. पिछले कुछ वर्षों से आमगांव का महत्त्व शिक्षा और व्यापारिक दृष्टि से भी बढ़ा है. लेकिन यहां एक अदद बस स्थानक की जरूरत आज तक पूरी नहीं हो सकी.

अपर्याप्त जगह, अपर्याप्त सुविधाएं एवं शासन की अनदेखी के कारण बस स्थानक के नाम पर बने ये बस पड़ाव यात्रियों के लिए असुविधा और परेशानी का कारण ही बन कर रह गए हैं. क्योंकि यहां आने वाली बसें इन सभी पड़ावों पर रुकती तो हैं, लेकिन इन पड़ावों से बस पर चढने वाले यात्रियों को अलग-अलग भाड़ा चुकाना पड़ता है. एक जगह छोडकर चार-चार जगहों पर ये बस पड़ाव हैं. कामठा चौक के बस पड़ाव को नियंत्रण कक्ष बनाया गया है. इस वजह से अधिकांश बसें  मुख्य बस स्थानक पर जाने के बजाए कामठा चौक से ही घुमाकर भेजा जाता है. शहर में गोंदिया, देवरी और सालेकसा से आनेवाली मार्ग की बस आखिर कहां रोकी जाए, इसका कोई ठिकाना नहीं है. इस सन्दर्भ में किसी भी अधिकारी के पास पुख्ता जानकारी नहीं है.

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राज्य परिवहन महामण्डल और शासन के हस्तक्षेप से बस स्थानक के लिए शहर के बाहर सेलेकसा रोड पर यह भूमि मिली. उसके बाद भी वर्षों तक नए बसस्थानक के निर्माण कार्य को ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया. लेकिन जब अल्टीमेटम मिला तो अधिकारियों और पदाधिकारियों को नए बस स्थानक की याद आई. इसका श्रेय लूटने के लिए जन प्रतिनिधियों ने फटाफट नए बस स्थानक का भूमिपूजन कर दिया. इसके तैयार होने में भी जनता को दस- बारह साल इंतजार करना पड़ा. लेकिन इसका स्वरूप भी बस पड़ाव का ही है. लाखों रुपए खर्च कर यहां बस एक शेड तैयार किया गया है. यहाँ न तो लाईट की सुविधा है, न तो पीने के पानी की व्यवस्था है. शाम के वक्त यहां एक भी बस नहीं आती. इन असुविधाओं को दूर करने की ओर सम्बंधित अधिकारियों का ध्यान कब तक जाएगा, जन प्रतिनिधि कब ध्यान देंगे, इस ओर स्थानीय लोगों की नजर लगी हुई है.

 

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