उमरखेड़ (यवतमाल)। विगत दो वर्षों से अनियमित बारिश न होने से किसानों पर आर्थिक संकट टूट पड़ा है. लेकिन इस वर्ष बरसात की शुरुवात अपने सही समय पर हुई जिससे किसानों ने जमकर बुआई की. तहसील में सोयाबीन, कपास की बुआई 90 प्रतिशत तक खत्म हो गई है. लेकिन अब बुआई के बाद बारिश नहीं होने से किसान अब आसमान की ओर नजरे लगाये बैठा है.
पिछले वर्ष इस वर्ष की तुलना में बहुत कम बारिश हुई और ग्लोबल वार्मिंग के चलते कहीं सुखा और कहीं गिला होने की स्थिति बन गई थी. बरसात न होने से सोयाबीन जैसी फसलों को काफी नुकसान होता है. साथ ही जमीन ठीक न होने से भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शैक्षणिक और पारिवारिक कर्ज भी वापस देने में दिक्क़ते हो रही है. यह परिस्थिति 20-22 वर्ष के बाद फिर से देखने को मिली. इतनी बुरी परिस्थिति में सोयाबीन को बाजार में 3300 रुपये का भाव मिला है. जिससे किसानों को अब इसी भाव से संतुष्ट रहना होगा. उत्पादन के लिये किसानों को जितना खर्च लगता है वो उनकी सीमा से बाहर जाता है. जिससे उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है. वही इस वर्ष मानसून की सही समय पर जोरदार शुरुवात हुई. किसान ने ख़ुशी से बुआई की, लेकिन अब बुआई के बाद बारिश नहीं होने से किसान चिंतित है.
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