Published On : Thu, Aug 6th, 2020

आदिवासी मजदूर को शराब के नशे में माफीनामा लिखवाया

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– खापरखेडा विधुत केंद्र में श्रमिक शोषण जारी

खापरखेडा : स्थानीय तापीय विधुत परियोजना में कार्यरत ई-टेंडर धारक गुजराती ठेकेदार भरतभाई पटेल ने अपने अन्य मजदूरों के माध्यम से एक आदीवासी श्रमिक को शराब पिलाया और नशे की हालत मे उससे माफीनामा पर हस्ताक्षर करवा लिया। इस श्रमिक का नाम अमोल परतेकी है ,जिसे एबीयू कंस्ट्रक्शन के नियोक्ता भरत पटेल ने उक्त आदीवासी श्रमिक को पूर्व सूचना दिये बिना काम से बंद करवा दिया था।इसे औधोगिक विवाद अधिनियम का उलंघन माना जा रहा है।क़ानून के मुताबिक किसी से भी नशे की हालत मे लिखापढी व हस्ताक्षर करवाना अपराध माना जाता है।इसके लिये दोषियों पर जुर्माना के अलावा जेल की सजा भी हो सकती है।

श्रमिकों की माने तो मजदूरों के शोषण मे लिप्त ठेकेदार भरतभाई पटेल अपने को गुजराती होने के नाते वह प्रधानमंत्री तक पंहुच बतलाकर सैक्शन अधिकारी अभियंताओं और श्रमिक यूनियन को गुमराह करते फिरता है। इंटक की ओर से मजदूर शोषण मामले की मुख्य अभियंता को लिखित शिकायत की गई हैं।उधर मुख्य अभियंता के कक्ष अधिकारी अधीक्षक अभियंता ने मामले की जांच-पड़ताल व कार्यवाई के लिये शिकायत की फ़ाईल संबंधित सैक्शन इंचार्ज के तरफ भेजा था। परंतु संबधित सैक्शन इंचार्ज ने ठेकेदार की मिलिभगत से फ़ाईल को कामगार कल्याण अधिकारी के तरफ भेजा ही नही?

इस सबंध में मुख्य अभियंता प्रकाश खंडारे भी चाहते है कि किसी भी कामगारों के साथ अन्याय व शोषण नही होना चाहिए।परंतु यहाँ ठेकेदारों की मनमानी के चलते श्रमिकों को तंगहाल मे मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।इस सबंध मे श्रमिक बताते है कि कंपनी के स्टोर से कार्य सामग्रियाँ लेकर श्रमिक कार्यस्थल पंहुचाने मे 15-20 मिनट भी लेट हुये तो ठेकेदार भरतभाई पटेल उन्हे आधे दिन की पगार काट लेने की धमकियां देता है।

खापरखेडा पावर स्टेशन में व्याप्त चर्चाओं के मुताबिक आदिवासी तथा दलित श्रमिकों के साथ अन्याय और आर्थिक शोषण करने की गुजराती ठेकेदार भरतभाई पटेल की यह पुरानी आदत है।

बताते है कि ठेकेदार पटेल मजदूरों का आर्थिक शोषण करके कमाया हुआ पैसा समय-समय पर विभिन्न उत्सवों मे लोगों को चंदा अनुदान सहयोग करने मे फूले नहीं समाता है।जब उसके द्वारा किये गये श्रमिक शोषण अन्याय और भ्रष्टाचार का मामला उठता है तो कानून की मार से बचने के लिये राजनैतिक गलियारों के आगे-पीछे चक्कर लगाते हुए समझौते की पेशकश करता फिरता है। बताते हैं कि उसका काम नही बनने पर वह नेताओं को भी गिन-गिन कर गालियाँ देते फिरता है।पता चला कि आजकल तो ठेकेदार भरत पटेल अपने द्वारा किये गये श्रमिक शोषण के पापों से छुटकारा पाने के लिए स्कूल कालेज के शिक्षक-अध्यापकों यहां के चक्कर लगाते देखा जा सकता है।परंतु बात नहीं बन पाने से क्षुब्ध होकर हैरान व परेशान गुजराती सबंधित पत्रकार पर झूठे लांछनास्पद और बेबुनियाद आरोप समझते फिरते जनता और प्रशासन को गुमराह करता फिरता है।उसको लगता है कि अध्यापक गण बचपने मे आदमियों को पढ़ाते हैं। वह सोचता हैं कि मास्टर लोग यूनियन के पदाधिकारियों तथा पत्रकारों को समझाने और पटाने मे कामयाब हो जायेगा। परंतु मामला उलट होता दिखाई देता नजर आ रहा है।

इस सबंध में तमाम अन्यायग्रस्त श्रमिकों की मांग है कि गुजराती ठेकेदार पटेल जैसे सभी बेईमान ठेकेदारों को भजदूर शोषण के मामले मे जेल की सजायें भुगतना ही चाहिए।इस सबंध में अन्यायग्रस्त श्रमिक अनमोल परतेकी जल्द ही मानव अधिकार आयोग के न्यायालय में मामला दाखिल करने वाला है।जिसमे दोषी ठेकेदार पटेल सहित सैक्शन इंचार्ज एवं संबंधित अधिकारियों पर भी कानून की मार पडना निहायत जरुरी है।