Published On : Thu, Mar 15th, 2018

नए वेज बोर्ड का गठन और राष्ट्रीय पेंशन योजना की मांग

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नागपुर: आॅल इंडिया न्यूज़पेपर एम्प्लाइज़ फेडरेशन नई दिल्ली (एआईएनईएफ) की कार्यसमिति की दो दिवसीय बैठक का आयोजन नागपुर में 17 एवं 18 मार्च को किया गया है. बैठक में समाचार पत्र कर्मचारियों के लिए नए वेज बोर्ड और राष्ट्रीय पेंशन योजना की मांग के साथ ही पत्रकारों और गैर-पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा. आमदार निवास, सिविल लाइंस में होने वाली इस बैठक में भविष्य में की जाने वाली कार्रवाई की रूपरेखा भी तय की जाएगी. 18 मार्च को दोपहर 3 बजे पत्रकारों और गैर-पत्रकारों सहित समाचार पत्रों के सभी कर्मचारियों की आम सभा होगी. आम सभा आमदार निवास के कैंटीन हॉल में होगी.

एआईएनईएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सुपरिचित कामगार नेता, अधिवक्ता एस. डी. ठाकुर ने एक पत्र परिषद में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया, आॅल इंडिया न्यूज़पेपर एम्प्लाइज़ फेडरेशन नई दिल्ली की स्थापना पहली मई 1960 को की गई थी. वर्तमान में देश भर की कोई 35 ट्रेड यूनियनें इस फेडरेशन से संलग्न हैं, जो करीब 7500 सदस्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं.

अधि. ठाकुर ने बताया कि, एआईएनईएफ ने पत्रकारों और गैरपत्रकार कर्मचारियों की सेवा-शर्तों के निर्धारण में महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक भूमिका अदा की है. फेडरेशन ने शिंदे वेज कमेटी, भंडारकर वेज कमेटी, पालेकर वेज बोर्ड, बछावत वेड बोर्ड, मणिसाना सिंह वेज बोर्ड और वर्तमान में कार्यान्वित मजीठिया वेज बोर्ड के समक्ष पेश होकर महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया था. फेडरेशन फिलहाल पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक नए वेज बोर्ड की शीघ्र स्थापना की मांग को लेकर प्रयासरत है.

उन्होंने बताया कि, नागपुर में होने वाली कार्य-समिति की इस बैठक में नए वेज बोर्ड की स्थापना के संबंध में भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा. फेडरेशन पहले ही केंद्र सरकार के समक्ष इस मांग को उठा चुका है. हालांकि इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार की उदासीनता चिंता का विषय ज़रूर है. कार्य-समिति इस गंभीर मुद्दे को अपने तरीके से हल करने का प्रयास करेगी.

विभिन्न अखबारी संस्थानों द्वारा विभिन्न तरीके अपनाकर मजीठिया वेज बोर्ड के क्रियान्वयन में विलंब किया जा रहा है. क्रियान्वयन से बचने के लिए अनेक तरह की रणनीतियां अपनाई जा रही हैं. कार्यसमिति की बैठक में इस पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा.

कार्यसमिति पत्रकार-गैर पत्रकार कर्मचारियों के लिए एक राष्ट्रीय पेंशन योजना बनाने की मांग पर भी विचार करेगी. हालांकि केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों ने कुछ अस्थायी किस्म की व्यवस्थाएं ज़रूर कर रखीं हैं, जिनमें प्रभावित पत्रकारों अथवा उनके परिजनों को विभिन्न आपदाओं का मुकाबला करने की दृष्टि से एकमुश्त राशि देने का प्रावधान है. यह व्यवस्था भी तदर्थ और चयनात्मक है. इसके लाभ गिने-चुने मामलों में ही दिए जाते हैं. इस व्यवस्था में एकरूपता, स्थायित्व और व्यापकता लाने की दृष्टि से कार्यसमिति केंद्र सरकार से अपील करती है कि समाचार पत्रों के कर्मचारियों के लिए जल्द से जल्द वैधानिक राष्ट्रीय पेंशन योजना बनाने की दिशा में वह कदम उठाए.

अधि. ठाकुर ने बताया कि, इसके अलावा जिन अन्य मुद्दों पर कार्यसमिति में विचार-विमर्श किया जाएगा, उनमें पत्रकारों को बिना ओवरटाइम का भुगतान किए सप्ताह में 36 घंटे से अधिक काम करने के लिए विवश करना, बिना किसी आधार और तर्कसंगत व्यवस्था के कथित रूप से शिफ्ट में काम करने के लिए विवश करना, शिफ्ट का इस्तेमाल कर्मचारियों को प्रताड़ित करने के लिए किया जाना, वैधानिक ट्रेड यूनियनों की गतिविधियों में शामिल होने वाले कर्मचारियों के प्रति असहिष्णुता का प्रदर्शन और ऐसे कर्मचारियों का उत्पीड़न करना तथा कर्मचारियों की विभिन्न शिकायतों के निपटारे के लिए एक उपयुक्त तंत्र की स्थापना करने आदि पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा.