Published On : Thu, May 9th, 2019

बिना बिल के मोबाइल कारोबार की परतें खुली

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गोंदिया ब्रांच में 96 लाख का फर्जीवाड़ा, 4 आरोपी पुलिस रिमांड पर

गोंदिया: गांव से लेकर शहर तक मोबाइल आज हर आदमी की पहली जरूरत बन चुकी है। मोबाइल कम्पनियां बाजार में रोज नई-नई तकनीकी सुधार कर स्मार्ट मोबाइल उतार रही है। उतनी ही तेजी के साथ पुराने हैंडसेट छोड़कर युवा पीढ़ी नए फिचर्स के साथ लांच हुए हैंडसेट की ओर दौड़ पड़ती है। कमोवेशः इसी का नतीजा है कि, आज हर गल्ली, हर चौराहे पर एक मोबाइल की दुकान दिखायी देती है। बड़े-बड़े डिस्ट्रीब्यूटरों ने भी अब अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए जिलास्तर पर अपनी ब्रांच खोलनी शुरू कर दी है।

नागपुर के धंतोली थाना अंतर्गत आनेवाले यशवंत स्टेडियम के निकट स्थित सिल्वर सेल्यूलर कॉम नामक मोबाइल बिक्री के डिस्ट्रीब्यूटर आकाश उर्फ सोनू केवलरामानी ने गड़चिरोली, चंद्र्रपुर, वर्धा, गोंदिया के लिए डिस्ट्रीब्यूटरशिप लेते हुए इन इलाकों में ओपो, टेकनो, आइटेल, रियलमी जैसे कम्पनियों के मोबाइल बेचने के लिए ब्रांचेस खोली।

गोंदिया ऑफिस में एक मैनजर राजेश, 2 सेल्समेन अतुल और मेहुल तथा कम्प्यूटर ऑपरेटर एक लड़की नियुक्त थी। मैनेजर पर्चेसिंग ऑर्डर (पीओ) डालकर माल बुलाता था। डीलर को 30 से 40 दिनों की उधारी दी जाती थी लेकिन गोंदिया ब्रांच का स्टॉफ उसी दुकानदार को माल देने के बजाए किसी ओर दुकानदार को बाहर के बाहर सस्ते में आपसी सांठगांठ कर माल बेचता रहा और उसका कमीशन खाकर, कम्पनी को शक न हो इसलिए थोड़ा पैसा उसके खाते में जमा कर देता था।

40 दिन के बाद कंपनी को रोलिंग कम दिखायी दिया। फिर कम्पनी ने जिनके- जिनके ऑर्डर थे, उनको फोन किया तो उन्होने कहा-हमने कोई एैसा ऑर्डर दिया ही नहीं? डेढ़ माह के दौरान सबसे ज्यादा गड़बड़ियां हुई थी और यह मामला 96 लाख रूपये के फर्जीवाड़े तक जा पहुंचा।

फिर्यादी डिस्ट्रीब्यूटर सोनू केवलरामानी ने धंतोली थाना कोतवाली पहुंच मैनेजर राजेश और 2 सेल्समेन अतुल तथा मेहुल के खिलाफ मामला दर्ज कराया। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की तो उन्होंने गोंदिया के 2, बालाघाट के 2, नागपुर बर्डी के गली नंबर 2 और 3 में स्थित 4 व्यापारियों सहित तिरोड़ा, आमगांव, सालेकसा, साखरीटोला के व्यापारी को माल बेचने की बात कबूल की जिसके बाद 7 मई को धंतोली थाने के सापोनि. डी.पी. नरोटे , अन्य 3 सह पुलिस कर्मचारियों के साथ गोंदिया शहर थाना पहुंचे और आमद रजिस्टर में इंट्री दर्ज करने के बाद दबिश देते हुए भरत नामक दुकानदार को ताबे में लेकर पूछताछ शुरू की, कागजी कार्रवाई पश्‍चात भरत को उसके चाचा के सुपुर्द किया गया।

गोंदिया के श्री टॉकिज रोड के एक गल्ली में मोबाइल दुकान चलाने वाले रिंकल नामक व्यक्ति ने 40 लाख का माल खरीदा, कुछ पैसा जमा किया, 9 लाख रूपये उसपर भी बाकि है लेकिन भनक लगते ही वह रायपुर फरार हो गया। कुल मिलाकर इस प्रकरण की गुत्थी सुलझाने हेतु गोंदिया आयी धंतोली पुलिस 96 लाख रूपये के माल में से एक भी रूपये की रिक्वरी अथवा हैंडसेट जब्त नहीं कर सकी और उसे बैरंग वापस लौटना पड़ा।

धंंतोली थाने के पुलिस निरीक्षक प्रसाद सनस ने जानकारी देते बताया कि,आरोपी मैनेजर राजेश और उसकी पत्नी पर सेम केेसेस जयपुर में भी दर्ज है। बहरहाल कोर्ट ने 3 दिनों की पुलिस रिमांड बढ़ाकर दी है। पकड़े गए 3 आरोपी 12 मई तक पुलिस कस्टडी में है। पुलिस पूछताछ में ओर भी कई बड़े खुलासे हो सकते है?

गोंदिया में बिकता है अंडर कटिंग माल
मोबाइल बिक्री के कारोबार से जुड़े एक व्यवसायी ने बताया, एक ही दूकानदार के नाम पर बहुत सारा माल बुलाकर कुछ कारोबारी बोगस सेल दर्शाते है। मकसद होता है मोबाइल कम्पनी से स्कीम का अतिरिक्त कमीशन पाना? इससे वे सब मिलाकर 10 प्रतिशत तक कमीशन हासिल कर लेते है। इस 96 लाख के बिना बिल के माल में भी कुछ एैसा ही हुआ। मालक को तो तुरंत पैसा देना ही नहीं है, बाद की बाद में देखेंगे? इस पॉलिसी पर चलकर गोंदिया ब्रांच में काम करने वाले लड़कों ने 20 प्रतिशत कम दर से बिना बिल का माल गोंदिया, बालाघाट, नागपुर के 10 पार्टियों को बेच डाला। अब आरोपियों के पकड़े जाने के बाद अधिक मुनाफे के लालच में बिना बिल (चोरी) का माल खरीदने वाले भागे-भागे घूम रहे है।

प्रतिमाह 5 करोड़ के मोबाइल बिना बिल के बिकते है?
ओपो, रियल मी, विवो, शो मी, एमआई, टेक्नो, आईटेल जैसी न जाने कितनी कम्पनियों का माल अकेले गोंदिया जिले की 8 तहसीलों में प्रतिमाह बिना बिल के बिक रहा है।
एक कारोबारी ने जानकारी देते बताया, अकेले गोंदिया जिले में प्रतिमाह 5 करोड़ के मोबाइल बिना बिल के बिकते है। गोंदिया में एक ट्रेन्ड चल पड़ा है, कस्टमर को सस्ता होना। इससे एक नंबर का काम करने वाले दुकानदारों का मॉरल डाऊन होता है, अगर जीएसटी डिपार्टमेंट, इन्कटैक्स और संबधित विभाग इस बिना बिल के कारोबार पर नकेल कसे तो माल प्रॉपर चैनल से आएगा तो अधिकृत विक्रेता (डिस्ट्रीब्यूटर- डीलर) का धंधा ज्यादा होगा, उसकी सेल बढ़ेगी।

बिल मत दो, सस्ता पड़ेगा क्या?
शहर और ग्रामीण कस्बों के ग्राहक जब मोबाइल की दुकान पर चढ़ते है, तो उनका पहला सवाल होता है, बिल मत दो, सस्ता पड़ेगा क्या? ग्राहक इस बारे में विचार ही नहीं करता कि, बिल के बिना कल मैं सर्विस के लिए क्लेम कैसे करूंगा? मोबाइल हैंडसेट खराब निकला तो मैं कन्ज्यूमर कोर्ट में केस कैसे दाखिल करूंगा? जबकि सरकार ने जीएसटी में इतने फायदे कर दिए है कि, आप जीएसटी में क्लेम कर सकते हो? तब भी ग्राहक बिना बिल का ही माल लेना पसंद करता है , क्योंकि उसे सस्ता चाहिए।

ऑनलाइन मोबाइल खरीदी में बोगस कागजों का सहारा
कभी सिम के लिए आपने दुकानदार को अपने पहचान संबंधी कागज (डाक्यूमेंट) दिए होंगे, उसका गैर इस्तेमाल करते हुए गोंदिया के कुछ दुकानदार एमआई और ओपो रियल मी कम्पनी का माल ऑनलाइन बुलाते है, क्योंकि कम्पनी की पॉलिसी है- एक ही नाम से एक ही पीस दिया जाता है लिहाजा ये दुकानदार बोगस कागज पत्रों की मदद से एक पीस कैश पेमेंट कर बुला लेते है, शहर की कूरियर कम्पनियों में एैसे सैंकड़ों मोबाइल के डिब्बे प्रतिदिन पड़े हुए दिख जाऐंगे जिन मोबाइलों के पीछे बिल चिपका रहता है। कूरियर कम्पनि से दुकानदारों की साठगांठ होती है, वह माल मोबाइल दुकान में आ जाता है। जब आप मोबाइल खरीदने जाते है तो दुकानदार आपको समझाता है यह हैंडसेट आपको 300 से400 रूपये सस्ता पड़ेगा है, बस बिल किसी ओर के नाम का है, कल इसी बिल के आधार पर आपको सर्विस भी मिल जाएगी, बुरा क्या है? और ग्राहक दुकानदार के झांसे में आकर पैसा खुद के जेब से चुकाता है और बिल किसी दुसरे का पाता है और चुपचाप मोबाइल हैंडसेट लेकर चल देता है। इस तरह गोंदिया में बिल से ज्यादा बिना बिल का मोबाइल कारोबार अधिक हो रहा है। इससे सरकार को राजस्व की बड़ी चोट पहुंच रही है।

– रवि आर्य