भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चैंबर ऑफ एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र इंडस्ट्री एंड ट्रेड(कैमिट)के अध्यक्ष डॉ दीपेनअग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री नितिनगडकरी से मुलाकात की और जीवन-आवश्यक वस्तुओं पर 5% जीएसटी के हालिया कार्यान्वयन पर एक ज्ञापन सौंपकर मामले में उनकीहस्तक्षेपकीमांग की।
दीपेनअग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि पहले से पैक और लेबल वाले दाल, आटा, अनाज और अन्य खाद्य वस्तुओं पर 5% जीएसटी लागू किया गया है। इस मुद्दे पर आगे चर्चा करते हुए डॉ अग्रवाल ने बताया कि लीगलमेट्रोलॉजीएक्ट (एलएमएक्ट) और नियमों के प्रावधानों को संयुक्त रूप से पढ़ने पर यह समझा जा सकता है कि यदि क्रेता की अनुपस्थिति में और पूर्व निर्धारित मात्रा (नियम 5 और अनुसूची-IIसाथ पढ़ें)में माल पैकेज में रखा गया है तभी माल पहले से पैक वस्तुओं की परिभाषा के अंतर्गत आएगा और एलएमएक्ट की धारा 18 के तहत घोषणा की आवश्यकता को आकर्षित करेगा। प्रशासन द्वारा जारी अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नके उत्तरलीगलमेट्रोलॉजी (पैकेज्डकमोडिटीज) नियम, 2011 के नियम 3 और नियम 26 के बीच की विसंगति को संबोधित नहीं करते हैं।
डॉ. अग्रवाल ने नितिनगडकरी के संज्ञान में लाया कि एलएमएक्ट का उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है. एलएम अधिनियम यह निरदेशित करता है कि यदि जब सामान पैकेज में रखा गया हैतबउपभोक्ता मौजूद नहीं है तोप्रत्येक प्री-पैकेज्डकमोडिटी को ऐसी मानक मात्रा या संख्या में निर्मित, पैक, आयात या बेचा जाना चाहिए, जैसा कि निर्धारित किया गया है । एलएम अधिनियम उपभोक्ता की उपस्थिति में विक्रेता द्वारा माल की पैकिंग को अपने दायरे से छूट देता है, शायद इसलिए कि उपभोक्ता ने अपनी उपस्थिति में पैक किए गए सामान की गुणवत्ता और मात्रा का ध्यान रखा है। हालांकि, जीएसटी के तहत विक्रेता और खरीदार के अलावा राजस्व विभाग भी एक हिस्सेदार है। अतः राजस्व अधिकारी की संतुष्टि कि माल क्रेता की उपस्थिति में पैक किया गया था न कि उसकी अनुपस्थिति में अंतहीन मुकदमेबाजी को जन्म देगा।
2017 में फिटमेंट कमेटी ने वस्तुओं के लिए तत्कालीन प्रचलित उत्पाद शुल्क और मूल्य वर्धित कर, और सेवाओं के लिए सेवा कर और मूल्य वर्धित कर पर विचार करने के बाद वस्तु व सेवाओं केलिए जीएसटी के अंतर्गत रिवेन्यू न्यूट्रल रेट (दर) का फैसला लिया था।इसके अलावा, सरकार और प्रशासन द्वारा समय-समय पर राष्ट्र को आश्वासन दिया गया था कि पूर्ववर्ती कर व्यवस्थाओं के तहत छूट प्राप्त वस्तुओं और सेवाओं को जीएसटी के तहत छूट जारी रहेगी। डॉ. अग्रवाल ने आगे कहा कि आजादी के बाद से किसी भी सरकार ने अपने नागरिकों के निर्वाह उपभोग पर कर नहीं लगाया है। ऐसे उपभोग पर कर कल्याणकारी राज्य के लोकाचार के विरुद्ध है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि किसानों, कारोबारी समुदाय और नागरिकों में नाराजगी एक जैसी है। हर तरफ भ्रम है। व्यापारियों पर जीएसटी के अनुपालन का बोझ होगा। किसानों को अपने माल के मुल्य में कमी का डर है। जो नागरिक पहले से ही मुद्रास्फीति की गर्मी का सामना कर रहे हैं, उन्हें अपने घरेलू बजट में और सेंध लगने का डर है। डॉ. दीपेन ने केंद्रीय मंत्री नितिनगडकरीसे इस मामले में हस्तक्षेप करने और केंद्र सरकार/जीएसटी परिषद के साथ अपने अच्छे संबंध का उपयोग करकेब्रांडेड अनाज पर जीएसटी की जगह प्री-पैक और लेबल अनाज पर 5% जीएसटी लगाने के निर्णय पर पुन्विचार करनेऔरवापस लेने के लिए प्रभावित करने का अनुरोध किया।
नितिनगडकरी ने धैर्यपूर्वक मुद्दों को सुनने के बाद मामले को वित्त मंत्री और पार्टी नेतृत्व के साथ उठाने का आश्वासन दिया।
देश के व्यापारी समुदाय की ओर से डॉ दीपेनअग्रवाल ने धैर्यपूर्वक सुनवाई और आश्वासन के लिए केंद्रीय मंत्री नितिनगडकरी के प्रति आभार व्यक्त किया।