Published On : Wed, Feb 7th, 2018

अजित पवार की भूमिका पर सरकार ख़ामोश क्यूँ – हाईकोर्ट

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Irrigation scam - Ajit Pawar
नागपुर: हाईकोर्ट से राज्य सरकार को फिर एक बार फ़टकार लगी है। मामला सिंचाई घोटाले से जुड़ा हुआ है। बीती सरकार में कई सिंचाई प्रकल्पों में करोड़ो रुपयों का गैरव्यवहार हुआ। अजित पवार के उपमुख्यमंत्री रहते हुए उनके द्वारा अपने अधिकारों का बेजा इस्तेमाल कर बाजोरिया कंस्ट्रक्शन को अवैध रूप से ठेके देने का आरोप लगा है। इसी मामले पर राज्य सरकार बीते दो वर्ष के दौरान अजित पवार की संलिप्तता से संबंध में कोई ठोस भूमिका अदालत में स्पस्ट नहीं की है। सरकार के इसी रुख से नाराज़ मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने सरकार को फटकर लगाई। अदालत ने सरकार से सवाल पूछा की अगर उन्हें सब पता है तो फिर भी ख़ामोशी का कारण क्या है ?

यह मामला न्यायाधीश भूषण धर्माधिकारी और स्वप्ना जोशी की दोहरी पीठ के पास है। बुधवार को इसी मामले की सुनवाई थी। अदालत ने सरकार की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे वकील को अजित पवार की मामले में भूमिका स्पस्ट करने को कहाँ लेकिन इसका ज़वाब उनके पास नहीं था। यह मामला जिन चार प्रकल्पों से जुड़ा हुआ है इनमे लगे आरोपों पर सरकार की तरफ से जो पक्ष अदलात में रखा गया उसमे किसी में भी पवार के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। ऐसे में मामले में उनका जुड़ाव है भी या नहीं यह भी नहीं बताया गया है।

इस मामले के याचिकाकर्ता अतुल जगताप ने आरोप लगाया है की बाजोरिया कंस्ट्रक्शन ने राजकीय संबंध के चलते जाली दस्तावेज़ के सहारे इन प्रकल्पों के कामों का ठेका हासिल किया। इस कंपनी के संचालक पूर्व विधायक संदीप बाजोरिया है जिनका अजित पवार से करीब का संबंध है। याचिकाकर्ता ने अदालत से माँग की है कि इस मामले में जाँच हो ,संलिप्त दोषी अधिकारियों पर मामला दर्ज़ किये जाने के साथ ही काम का नए सिरे से टेंडर निकला जाये।

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सनद रहे की बाजोरिया कंस्ट्रक्शन को अमरावती और बुलढाणा ज़िले में सिंचन से जुड़े कामों का ठेका दिया गया था। बुधवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील श्रीधर पुरोहित ने मामले की पैवरी करते हुए कहाँ कि इस मामले में राज्य सरकार ईमानदारी से प्रयत्न करती दिखाई नहीं दे रही है। सरकार के पास उनके आरोपों का जवाब नहीं होने पर अदलात ने विदर्भ सिंचन विकास महामंडल को इन चारों प्रकल्पों से जुड़े सभी रिकॉर्ड जमा करने को कहाँ है। इस मामले में आरोपों से मुक्त किये जाने की अजित पवार की माँग अदालत पहले ही ख़ारिज कर चुकी है। पवार की तरफ से वकील श्याम देवानी मामले में पैरवी कर रहे है।

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