Published On : Fri, Jan 27th, 2017

भाजपा-शिवसेना में दरार, बहुत खुश हैं शरद पवार

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मुंबई के गोरेगांव इलाके में शिवसैनिकों को संबोधित करते हुए, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने ऐलान कर दिया कि अब शिवसेना अकेले ही बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव लड़ेगी. इस घोषणा के कुछ ही देर बाद पुणे में एनसीपी शरद पवार ने इस मामले में शरारती प्रतिक्रिया देते हुए कहा के इतने साल एक साथ काम करने वाले अलग हुए हैं इसका मुझे बहुत दुख हो रहा है. शरद पवार ने अपनी बात तो कह दी लेकिन अपने चेहरे की हंसी छिपा न सके, जिससे ये साफ हो जाता है कि शरद पवार को शिवसेना-बीजेपी के अलग होने से दुख कम ख़ुशी ज्यादा हुई है.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार से जब पूछा गया कि अगर शिवसेना ने महाराष्ट्र सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया तो आपकी पार्टी की क्या भूमिका रहेगी, इस पर पवार हंसते हुए बोले कि वे अगर मगर वाले सवालों के जवाब नहीं देते, अगर बीजेपी-शिवसेना इस पर कोई निर्णय लेते हैं तब इसकी चर्चा होनी चाहिए.

शरद पवार भले ही उनके समर्थन देने या नहीं देने की बात स्पष्ट नहीं कर रहे हो, लेकिन ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्ती कितनी गहरी है. 2014 महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव के तुरंत बाद, जब राज्य सरकार में सत्ता के बंटवारे पर शिवसेना-बीजेपी में तनाव था उस वक्त एनसीपी ने बिना किसी शर्त के राज्य में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की थी. इस घोषणा के बाद शिवसेना का बढ़ता कद कम हुआ था. इसके बाद शिवसेना विधायकों को महत्वपूर्ण मंत्रालय मिले बिना ही बीजेपी के साथ सरकार में गठबंधन करना पड़ा था.

एक बार फिर बीजेपी-शिवसेना उसी मोड़ पर मन में कड़वाहट लिए खड़े हो गए हैं. बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के बीच पिछले कई दिनों से तनातनी जारी थी. बीएमसी की 227 सीटों में से बीजेपी करीब आधी सीटों पर दावा कर रही थी, जबकि शिवसेना उसे महज 60 सीट देने की बात पर अड़ी थी. सीटों के बटवारे पर कोई नतीजा नहीं निकल पाने पर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने खुद के दम पर बीएमसी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.

राज्य में बृहन्मुंबई नगर निगम के अलावा पुणे, नासिक, कोल्हापुर और नागपुर नगर निगमों के लिए चुनाव अगले महीने में होने हैं. जाहिर सी बात है कि बाकी चार नगर निगम चुनावों पर भी इसका असर पड़ेगा. लेकिन ये देखना दिलचस्प होगा कि बीएमसी चुनाव में सीटों के बटवारे को लेकर पड़ी ये दरार राज्य सरकार में दोनों पार्टियों के गठबंधन को कितना नुकसान पहुंचाएगी.