Published On : Fri, Jul 24th, 2020

डॉक्टर प्रवीण गंटावार किसके कर्मी हैं मनपा या साहिल सैय्यद के !

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पत्रपरिषद में भाजपा के वरिष्ठ पार्षद दयाशंकर तिवारी का सीधा सवाल

नागपुर – आज दोपहर एक पत्रपरिषद के माध्यम से भाजपा के वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी ने जानकारी दी कि 4 जुलाई 2020 को एलेक्सिस अस्पताल में 15-20 असामाजिक तत्वों ने मनपा अधिकारी डॉक्टर गंटावार की उपस्थिति में जो कृत्य किया,उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ हैं। जिससे यह साबित हो रहा हैं कि उक्त दोनों के मिलीभगत से एलेक्सिस अस्पताल को बदनाम करने की कोशिश किया जा रहा।क्या डॉक्टर गंटावार मनपा के कर्मी हैं या फिर साहिल सैय्यद के,एक ज्वलंत सवाल तमाम नागरिकों के मन-मस्तिष्क में हिचखोले खा रहा।

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उक्त प्रकरण में अस्पताल प्रबंधन ने मानकापुर पुलिस स्टेशन में 7 जुलाई 2020 को शिकायत दर्ज करवाई।जिसमें पुलिस ने धारा 143,149,448, 188,269,270, 271506(2) भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत मामला दर्ज किया।

तिवारी ने आगे कहा कि मनपा ने नियमों का पालन न करते हुए साहिल सैय्यद को मदद करते हुए बिना किसी जांच के एलेक्सिस अस्पताल को दंडित करने की कार्रवाई की। इस कार्यवाई के विरोध में उक्त अस्पताल प्रशासन ने उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया। इस मुकदमें पर आज दोपहर न्यायालय ने आदेश दिए,जिसके अनुसार गंटावार और मनपा में उनके वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका और पीसीपीएनडीटी अंतर्गत कार्रवाई हेतु निर्मित समिति की भूमिका सह कार्यप्रणाली पर प्रश्रचिन्ह लगाया गया।

न्यायालय के अनुसार ‘what we find in that the entire conduct of the respondent No. 2 reflects high probability of bais and a hidden motive in consistent with the fair performance of his duties,creating an impression that something has gone wrong of the nature and degree,which requires intervention by this court.’ न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणी डॉक्टर गंटावार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं।

तिवारी ने आगे कहा कि डॉक्टर गंटावार नियमित गैरकानूनी कृत्यों को पद का दुरुपयोग कर अंजाम दे रहे फिर भी मनापायुक्त का उनका एकतरफा प्रेम समझ से परे हैं। पिछले माह सभागृह में महापौर के सख्त आदेश के अनुसार उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए था,इसे अंजाम देने के बजाय आयुक्त महापौर के आदेश को रद्द करने हेतु नगर विकास विभाग को सिफारिश कर चुके हैं। अर्थात आयुक्त आँख बंद कर डॉक्टर गंटावार को खुलेआम संरक्षण दे रहे।

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