– पुश्तैनी कला के जतन के लिए चाहिए जगह
नागपुर – चितौली तथा शहर के विभिन्न बस्तियों में पुश्तैनी मूर्ति बनाने का कार्य करने वाले कलाकारों के प्रति सरकार उदासीन होने की तस्वीर है। पारंपारिक मूर्ति कारों का जतन हो उनकी कला अधिकाधिक समृद्ध हो इसके लिए सरकार द्वारा कोई भी प्रयास होते हुए नहीं दिख रहा। मूर्ति कारों के लिए स्वतंत्र जगह उपलब्ध हो ऐसी मांग होने लगी है। हर वर्ष जून-जुलाई से चितार ओली में चहल पहल शुरू होती है.
दिवाली तक यहां स्थाई अस्थाई मूर्तिकार दुकाने सजाते हैं आज चिता रोगी में काफी कम पाई मूर्तिकार है तो अन्य मूर्तिकार यहां बाहर से आकर भाड़े से कमरे लेते हैं विगत कुछ वर्षो में हुए हुआ विस्तार, सड़कों का चौड़ीकरण आदि से यह जगह कम पड़ने लगी है इसे देखते हुए मूर्ति कारों को अच्छी जगह उपलब्ध करें, इस ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया गया है।
इस बारे में मूर्तिकार मनोज बिंड ने कहा कि, चितारओली में स्थाई सौरभ के स्वरूप के मूर्ति कारों की संख्या कम हुए हैं गणेश शो के दौरान 100 से अधिक दुकानें यहां होती है इसमें से अधिकांश मूर्तिकार यह जुलाई से नवंबर तक यहां भाड़े से जगह देते हैं इस दौरान कानोबा गणपति दुर्गा देवी शारदा देवी की मूर्ति बनाई जाती है मूर्ति सूखने के लिए दुकान के सामने की जगह पर अस्थाई स्वरूप में ताडपत्री डालने पर मनपा के कर्मचारी जुर्माना लगाते हैं कमाई तो कुछ भी नहीं परंतु परेशानी अधिक होती है यह स्थिति बदलनी चाहिए।