Published On : Wed, May 15th, 2019

चुनौती,बंगाल के रक्त -चरित्र को!

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पुरानी कहावत है ,
” What Bengal thinks today ,India thinks tomorrow !”

अर्थात ,बंगाल जो आज सोचता है ,भारत कल सोचता है ।

तो क्या वर्तमान काल – खंड में ये चरितार्थ होने जा रहा है ? अगर हाँ ,तो स्वरूप क्या होगा ? कैसा होगा?क्या सम्पूर्ण भारत की धरती लाल होगी ?भयावह संभावना !

विगत मंगलवार ,14 मई ,2019 को कोलकाता में,सर्व- पूज्य महान दार्शनिक ,प्रात:स्मरणीय समाजसेवी ईश्वरचन्द्र विद्यासागर की आवक्ष प्रतिमा तोड़ डाली गई ।केन्द्रीय सत्ता पर आसीन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ,अमित शाह पर आरोप लगा कि उन्होंने बंगाल को ” कंगाल बांग्ला ” की उपमा से विभूषित कर डाला ।

शाह के चुनावी ‘रोड शो ‘ के दौरान हिंसा का तांडव हुआ।चुनावी गहमागहमी के बीच तनाव अस्वभाविक नहीं । किंतु ,वहां की धरती का परिवर्तित “लाल रंग ” भयावह संदेश दे रहा है।पत्थरबाजी,बोतलबाजी ,डंडाबाजी ,आगजनी के बीच, प्रधानमंत्री मोदी उवाचित “दीदी के गुंडे” का जवाब “दिल्ली के गुंडे” से दिया गया । ऐसी दुरूह स्थिति के उदय के दोषी सभी पक्ष हैं – केन्द्र में सत्तारुढ भाजपा भी ,और बंगाल में सत्तारुढ त्रिणमूल कांग्रेस भी ।किसी ने भी बंगाल – गौरव,बंगाल – वैभव ,बंगाल – प्रतिमा ,बंगाल – अपेक्षा ,बंगाल – दर्शन की चिंता नहीं की।

कुल सात चरणों के चुनाव के छ: चरण पूरे हो चुके हैं।संभवत: पहला चुनाव,जिसके प्रचार के दौरान विकास और जन सरोकार के मुद्दे गायब रहे।निजी आरोप- प्रत्यारोप और शब्द – प्रहारों ने मर्यादा की सारी सीमायें तोड़ डालीं ।सिर्फ तनाव- युक्त नहीं,बदबूदार घृणा युक्त वातावरण निर्मित किये गये ।क्यों ? सिर्फ सत्ता के लिए ही ना ?खेद कि इस आपा -धापी में सभी पक्ष ,बंगाल के वास्तविक रक्त चरित्र – राष्ट्रीय दिग्दर्शक – को भूल गये।

समय अभी भी शेष है ।
चेत जायें !

अन्यथा ,इस आत्मघाती भूल के दुष्परिणाम के साथ हम- बिस्तर को तैयार रहें !