– पिछले 2 सप्ताह से रोजाना 1000 के ऊपर कोरोना पॉजिटिव मरीज सार्वजनिक हो रहे, वहीं इलाज-व्यवस्था में प्रशासन कम पड़ रही,इसलिए मनपा प्रशासन व पदाधिकारियों का कराया गया ध्यानाकर्षण
नागपुर – शहर में कोरोना का दुष्प्रभाव मार्च माह से शुरू हो चुका था। तब सख्त लॉकडाऊन और गर्मी से मरीजों की संख्या बढ़ी नहीं, अब बरसात व ठंडी के साथ साथ व्यक्तिगत जांच की संख्या बढ़ने से पिछले 15 दिनों में मरीजों की संख्या रोजाना औसतन 1500 से ऊपर हो गई। जिसके इलाज के लिए अस्पतालों में जगह नहीं,उचित देखभाल के कारण रोजाना मृतकों की बढ़ती संख्या से शहरवासी सकते में हैं। इसलिए मनपा प्रशासन व पदाधिकारियों से जानमाल का नुकसान भयावह होने से बचाने के लिए 10 से 15 दिनों का सख्त लॉकडाऊन की जरूरत पर ध्यानाकर्षण करवाया गया।
कोरोना के प्रभाव मार्च माह से शहर को जकड़ने लगा तो मनपा प्रशासन सख्त लॉकडाऊन कर परिस्थितियों पर काबू पा लिए थे,तब 3 माह भीषण गर्मी सह कोरोना जांच की रोजाना अल्प व्यवस्था होने से कोरोना मरीजों की संख्या अति अल्प नज़र आने लगी। इसके बाद सभी ओर से लॉकडाऊन में ढिलाई देने हेतु काफी दबाव होने से ढिलाई दी गई साथ में कोरोना की जांच की संख्या बढ़ाने से और इस बीच बरसात का मौसम शुरू होने से ठंडी बढ़ी और कोरोना के पॉजिटव मरीजों की संख्या में बेइंतहा बढ़ोतरी हो गई। पिछले 15 दिनों में रोजाना 1500 के ऊपर मरीज सामने आने लगे। इनके इलाज के लिए शासन के पास न बीएड और न ही इलाज व्यवस्था मिलने से हालात काफी बिगड़ चुका हैं। मनपा प्रशासन के पास सभी ओर से हाथ-पांव मारने के बाद रोजाना सैकड़ों positve मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं उपलब्ध करवा पा रहे। जितने भर्ती हैं, उन्हें भी समाधानकारक इलाज नहीं मिल पा रहा। आज आलम यह हैं कि रोजाना 50 के आसपास कोरोना positve मरीजों की मृत्यु होने की जानकारी मिल रही।
ऐसी सूरत में होम क्वारेन्टीन मरीजों को कोविड-19 नियमानुसार दी जाने वाली सुविधा देने में भी प्रशासन कम पड़ रहा। ऐसे मरीजों तक पहुंचने में 8 से 10 दिन लग रहे। कोविड-19 के नाम पर पॉजिटिव मरीजों से मनमानी लूट की खबर से भी प्रशासन भली-भांति वाकिफ हैं। पॉजिटिव मरीजों के परिजन पैसे फेंकने को तैयार लेकिन न सुविधा और न ही बेड मिल पा रहे,निजी अस्पतालों में जरूरत से ज्यादा मनमानी हो रही।सिर्फ इक्के-दुक्के की ही चल रही।बेड न मिलने से मरीज दम तोड़ रहे।
प्रशासन द्वारा लॉकडाऊन के तहत दी गई छूट आम नागरिकों सह बाजार इलाकों और सरकारी कार्यालयों में पालन नहीं हो पा रहा,यह दुखदायी होने के साथ ही साथ कोरोना के फैलाव में मजबूती प्रदान कर रहा।वैसे कोरोना का फैलाव सम्पूर्ण शहर भर में हो चुका हैं,पटरी के उस पर के इलाकों में लॉकडाऊन के नियमों का पालन नहीं हो पा रहा। सरकारी अस्पतालों के कोरोना वार्डों में आम आवाजाही पर कोई लगाम नहीं, फिर चाहे मरीजों के परिजन ही क्यों न हो।
कोविड-19 में सक्रिय प्रशासन अपने जान-जोखिम में डाल सेवारत अधिकारी-कर्मी के प्रति गंभीर नहीं, नियमानुसार उचित किट का अभाव देखा जा रहा हैं। तो दूसरी ओर शहर में रहने वाले दिग्गज सफेदपोशों की कोरोना मामले में नज़रन्दाजगी समझ से परे हैं, इनकी हलचल तब ज्यादा बढ़ जाती हैं, जब इनके निकटवर्ती पॉजिटिव पाए जाते हैं और इनके इलाज के लिए मनचाहे अस्पताल में जगह चाहिए होती हैं।इनमें से अधिकांश सख्त लॉकडाऊन के विरोधी हैं। ऐसे में प्रशासन पसोपेश में हैं कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या के बढ़ते क्रम को रोकने के लिए क्या करें ? इसका एक ही ठोस उपाययोजना हैं कि नागरिकों को 3-4 की मोहलत देकर 7 से 15 दिन की सख्त लॉकडाऊन की घोषणा कर दें अन्यथा नागपुर शहर की स्थिति और भयावह हो जाएंगी,तब सिर्फ हाथ पर हाथ धरे देखने के शिवाय कुछ नहीं शेष रह जायेगा।
– राजीव रंजन कुशवाहा,(9850503020)