Published On : Mon, Jan 8th, 2018

Video: शौचालय के लिए पानी का हो रहा गृहउपयोग

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नागपुर: सरकारी योजनाएं अमूमन जनहितार्थ होती हैं, लेकिन उसे अमल में लाने वाली एजेंसी ( माध्यम या विभाग ) की लापरवाही से योजनाओं की उद्देश्यपूर्ति नहीं हो पाती. बाद में योजनाओं और उसके प्रणेता पर असफलता का ‘टैग’ लगा दिया जाता है. ऐसा ही कुछ नागपुर महानगरपालिका की सीमा में होने का मामला प्रकाश में आया, वह भी प्रभाग क्रमांक ११ की सबसे चर्चित बस्ती का, जिसे शिवकृष्ण धाम के नाम से जाना जाता है.

शौचालय का पानी, ढो रहे जरूरतमंद
मनपा प्रशासन ने केंद्र सरकार के निर्देश पर खुले में कोई शौच न करने के लिए कहीं रेडीमेड वाहनयुक्त शौचालय तो कहीं पक्के शौचालयों का निर्माण किया। इन शौचालयों में भरपूर पानी मिले इसलिए ठोस व्यवस्था भी की. प्रभाग ११ अंतर्गत शिवकृषणधाम नामक अवैध बस्ती में भी मनपा ने १०-१० शौचालयों का निर्माण किया, पानी के नल और पानी की टंकी, शौचालय तक आवाजाही के लिए मार्ग और २४ घंटे बिजली की व्यवस्था की. स्थानीय सैकड़ों जरूरतमंद नागरिक शौचालय के इस्तेमाल के बजाय वहीं के नल से घरेलू उपयोग के लिए पानी ढो रहे हैं. क्यूंकि बस्ती अवैध है, निजी लेआउट धारकों की जमीन पर कब्ज़ा कर उस पर अपने मन मुताबिक घर बनाकर रह रहे हैं. इस बस्ती में मनपा ने इस बस्ती को स्लम सूची में डालकर वैध नल कनेक्शन दे रखी है, जबकि वैध नल कनेक्शन के लिए अनगिनत पापड़ बेलने पड़ते हैं. खर्च भी हज़ारों में हो जाते हैं. इस बस्ती में ६०० से अधिक घर/मकान/झोपड़े हैं.

गृह मंत्रालय के हिट लिस्ट में है बस्ती
यह बस्ती लगभग ८ से १० लेआउट और कुछ दर्जन प्लॉट धारकों की खुली जमीन पर न्यू कॉलोनी निवासी एक चर्चित सफेदपोश भूमाफिया के इशारे पर उनके लोगों ने ८-९ वर्ष पूर्व भूमि पर अवैध बस्ती बैठा दी. लगभग ६०० से अधिक परिवार इस अवैध बस्ती में रहते हैं. कांग्रेस शासन में कांग्रेस के आखिरी पालकमंत्री ने सिर्फ वोट के लिए अपने अधिकार का दुरुपयोग कर सड़क, बिजली व पानी आदि मुलभुत सुविधाओं की व्यवस्था करवाई। नागपुर सुधार प्रन्यास के अधिकारियों ने भी बस्ती में उल्लेखनीय काम किए. इक्के-दुक्के लेआउट और प्लॉट धारक न्यायालय व आयोग के पास मुस्तैदी से गुहार लगाए तो उन्हें पुलिस, नासुप्र व मनपा के संयुक्त कार्रवाई करवाकर उनकी जमीनें वापिस दिलवाई गईं. उक्त मामले में राज्य गृह मंत्रालय की महती भूमिका को नाकारा नहीं जा सकता, उन्होंने एसआईटी का गठन करवाया था, यह और बात है कि किसी विशेष कारण से एसआईटी बर्खास्त कर दी गई. एक तरफ गृह मंत्रालय उक्त अवैध बस्ती हो हटाकर जमीन के मूल हक्क्दारों को उनकी संपत्ति दिलवाने के लिए जद्दोजहद कर रही तो दूसरी ओर मनपा प्रशासन इस परिसर में अवैध शौचालय का निर्माण करना समझ से परे है.

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बस्ती के अधिकांश घरों में हैं शौचालय
अवैध बस्ती निर्माण के सरगना ने प्रत्येक प्लॉटधारकों को एक कमरा, एक रसोईघर, एक स्नान घर सह शौचालय के निर्माण पर बाध्यता रखी थी. इस कारण वश अमूमन सभी घरों में शौचालय है. सभी शौचालयों का संयुक्त गन्दा पानी कोराडी मार्ग के दूसरे तरफ नाले में छोड़ने की व्यवस्था की गई है. सिर्फ रेलवे पटरी किनारे की कुछ दर्जन झोपड़ो में शौचालय नहीं हैं, वे शौचालय के लिए रेलवे पटरी का उपयोग करते हैं. बावजूद इसके मंगलवारी जोन प्रशासन ने निजी स्वार्थपूर्ति के लिए उक्त धाम में मनपा या योजना के तहत मिली राशि में से लाखों खर्च कर दिया जाना कई सवाल खड़े कर रहा हैं, क्या शहर में ऐसे मामले और हैं.

असल करदाताओं को कोई सुविधा नहीं
विडंबना यह हैं कि उक्त बस्ती से लगी रहवासी क्षेत्र के नागरिक नियमित करदाता है. लेकिन उन परिसर के नाले आदि कभी खुद-ब-खुद साफ़-सफाई नहीं की जाती,रोजाना के कचरे उठाए नहीं जाते, आखिरकार जलाना पड़ता है. गदगी-कचरों के भंडारण को उठाने की गुहार के बावजूद आज तक उठाया नहीं गया. परिसर में शाम ढलते ही उक्त बस्ती के गंदगी के कारण नाना प्रकार के मच्छर का साम्राज्य है. कभी कनक वाले तो दिखे नहीं और न ही फॉगिंग मशीन से मांग के बाद स्प्रे किया गया.सिर्फ केंद्र और राज्य के योजनाओं में खुद को श्रेष्ठ दर्शाने संबंधी फोटो-विडिओ को प्रेषित कर पुरस्कृत होने का सिलसिला जारी हैं.

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