कर्जमाफी को नौटंकी कहने पर विपक्ष पर बिफरा सत्तापक्ष
नागपुर: विधिमंडल के शीतकालीन अधिवेशन का पहला ही दिन किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के टकराव की भेंट चढ़ गया। विधानपरिषद की कार्यवाही शुरू होते ही सबसे पहले हालही में चुनकर आये सदस्य प्रसाद लाड़ ने शपथ ली जिसके बाद शोकप्रस्ताव हुआ। सदन की कार्यवाही आगे बढ़ती इससे पहले नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने नियम 282 के तहत सरकार द्वारा घोषित कर्जमाफी पर चर्चा की माँग कर डाली। अधिवेशन का पहला दिन होने की वजह से सभापति रामराजे निंबालकर ने चर्चा की माँग के प्रस्ताव को तो ख़ारिज कर दिया लेकिन मुंडे को अपनी बात रखने का मौका दिया।
अपने भाषण में मुंडे ने कर्जमाफ़ी को नौटंकी करार दिया। अपनी बात को रखते हुए उन्होंने कहाँ की जुलाई में अधिवेशन के दौरान कर्जमाफ़ी का ऐलान किया था लेकिन अब तक एक भी किसान को इसका फायदा नहीं हुआ है। यवतमाल से नागपुर तक दिंडी यात्रा के दौरान उन्हें एक भी किसान नहीं मिला जिसने कहाँ हो की उसके खाते में पैसे आये हो,रविवार को ही कर्ज की वजह से नागपुर जिले के काटोल में ज्ञानेश्वर राठोर नामक किसान ने आत्महत्या कर ली,मुख्यमंत्री यवतमाल के जिस भुमने नामक किसान के घर रुके थे उसे भी कब तक कर्ज माफ़ी का इंतज़ार ही है। सरकार को लाभार्थी किसानों के नामों की लिस्ट सदन में रखनी चाहिए। सरकार ने 300 करोड़ सिर्फ विज्ञापन पर खर्च किये जबकि अब तक किसी भी किसान को इसका लाभ नहीं मिला है।
मुंडे द्वारा उठाए गए सवालों का सदन के नेता चंद्रकांत दादा पाटिल ने ज़वाब दिया। लेकिन उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के नौटंकी शब्द पर आपत्ति दर्ज कराई। पाटिल के मुताबिक मुख्यमंत्री को नौटंकी करार देना लोकतंत्र में यह भाषा उचित नहीं है। सरकार विपक्ष के हर सवाल का जवाब और कर्जमाफी पर चर्चा के लिए तैयार है। बोलते समय तथ्य को तोड़ना-मरोड़ना नहीं चाहिए विज्ञापन के लिए सरकार का साल भर का बजट ही 50 करोड़ रूपए का है।
सत्तापक्ष विपक्ष के लगातार टकराव की वजह से कार्यवाही चार बार स्थगित हुई। सोमवार का कामकाज स्थगित होने से पहले खुद मुख्यमंत्री ने सदन में कर्जमाफी को लेकर उठाये जा रहे मुद्दों का विस्तार से जवाब देने का आश्वाशन दिया।