Published On : Tue, Dec 16th, 2014

उमरखेड़ : कपाड़ी तालाब का 25 वर्षों से निर्माण की प्रतीक्षा

 

  • विधानमण्डल ध्यानाकर्षण
  • लघु सिंचाई विभाग की ढुलमुल नीति से अटका निर्माण कार्य
  • पेयजल व सिंचाई का घोर अभाव 
  • किसानों की समस्याओं को लेकर संघर्ष समिति का विम पर मोर्चा की तैयारी
  • सुकली आमनपुर चिल्ली ज. बोधा वन वरुड़ नागेसवाड़ी, दहागाँव में पानी की घोर समस्या
  • पलायन की दिशा में किसान

उमरखेड़ (यवतमाल)। लघु सिंचाई विभाग अंतर्गत सुकली जहांगीर में पिछले 25 वर्षों से कपाड़ी तालाब के निर्माण के लिए मार्किंग किया गया था. उसके लिए सिंचाई विभाग का करीब के सुकली, आमनपुर, चिल्ली ज. बोधा वन, वरुड़, नागेसवाड़ी, दहागाँव आदि गाँवों के किसानों की पानी की समस्या खत्म करने व सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का उद्देश्य था. बावजूद इसके अब तक कार्य प्रारंभ नहीं किया गया. अब 25 वर्षों से कपाड़ी तालाब के निर्माण की प्रतीक्षा ही की जा रही है. अब पीडि़त किसानों ने तालाब के निर्माण कार्य के लिए नए सिरे से मंजूरी देकर सिंचाई की व्यवस्था करने की माँग करने में जुट गए हैं. इसके लिए संघर्ष समिति की अध्यक्ष संगीता वानखेड़े, उपाध्यक्ष मधुकर गंगात्रे व सचिव चुन्नू मियाँ काज़ी ने इस समस्या के समाधान के लिए नागपुर विधानमण्डल के शीत सत्र में आंदोलन कर ध्यानाकर्षण करने का निर्णय लिया है.

सरकार ने प्राकृतिक परिस्थितियाँ अनुकूल पाकर 25 वर्ष पहले पानी की समस्या व सिंचाई की असुविधा को देखते हुए सिंचाई के स्रोत पैदा करने वृहद सिंचाई व्यवस्था के रूप में 6-7 गाँव के किसानों की जमीन को सिंचाई लाभ क्षेत्र में लाने के लिए सुकली में चिपाड़ी तालाब निर्माण कराने का निश्चय किया था. उसी के आधार पर विभाग उसकी रूपरेखा भी तैयार कर ली थी. सरकार की ढुलमुल नीति के कारण चिपाड़ी तालाब के कार्य को गति नहीं मिल सकी. इससे परिसर की करीब 7 हेक्टेयर जमीन सिंचाई से वंचित रह गई. आज प्राकृतिक असंतुलन से वर्षा की अनिश्चितता के बीच पानी की भारी किल्लत महसूस की जा रही है. सिंचाई व पेयजल व्यवस्था नहीं होने से कमी को पूरा न कर पाने की पीड़ा से इर्द-गिर्द के कृषक पलायन करने की फिराक में हैं.

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जिलाधिकारी व जनप्रतिनिधि के संयुक्त प्रयासों से इस स्थान पर एक सिंचाई तालाब उपलब्ध हो सके इसके लिए ग्रामीणों बारंबार गुहार लगाई जा रही है, पर विभाग उनकी दयनीय हालत पर तरस नहीं खा रहा है. ऐसे में विवश होकर इस जायज माँग को लेकर अब शीघ्र ही विधानभवन पर संघर्ष समिति मोर्चा लेकर दस्तक देने के लिए कमर कस ली है.

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