नागपुर: मोबाइल की दुनिया में चर्चित ‘वीवो’ पर अवैध होर्डिंग लगाने व होर्डिंग लगाने हेतु पंजीयन कर नियमित शुल्क अदा करने हेतु मनपा विज्ञापन विभाग ने ‘वीवो’ प्रबंधन को ३२ लाख से अधिक का डिमांड थमाया था, जिसमें से उक्त कंपनी आधी राशि भर कर बकाया टाल गई.
इस सन्दर्भ में मनपा स्थापत्य समिति सभापति संजय बंगाले ने जानकारी दी कि ‘वीवो’ को मनपा विज्ञापन विभाग ने ३२,८४,८९२ रुपए का डिमांड दिया, इन्होंने १७,७४,६७३ रुपए भरा. इन पर १५,१०,२१९ रुपए शेष है, जिसे इन्हें ३१ मार्च २०१८ तक भरना था. इसलिए अब ‘वीवो’ कंपनी को बकाया राशि सहित बकाया न चुकाने का जुर्माना और जब तक बकाया नहीं चुकाते तब तक बकाया राशि पर २% बतौर ब्याज वसूला जाएगा.
बंगाले ने आगे बताया कि उक्त मामले को लेकर आगामी १० अप्रैल के आसपास समीक्षा बैठक ली जाएगी. यह भी जानकारी दी कि अतिरिक्त आयुक्त मोहिते ने गत सप्ताह मनपा के सभी जोन प्रमुखों को लिखित आदेश दिया था कि वे अपने अपने जोन अंतर्गत ‘ओप्पो’ और ‘वीवो’ के होर्डिंग्स की जानकारी दें. लेकिन समाचार लिखे जाने तक उक्त जानकारी की रिपोर्ट किसी भी जोन ने तैयार नहीं की. इससे साफ जाहिर है कि मनपा मुख्यालय के आदेशों की जोन स्तर पर अवहेलना हो रही है.
उल्लेखनीय यह है कि मोबाइल की दुनिया में कदम रखने वाली विदेशी कंपनी ‘ओप्पो’ व ‘वीवो’ ने बाजार पर कब्ज़ा ज़माने के लिए बिना अनुमति शहर के बाजार वाले इलाकों में अपने रंग में रंगने लगी थी. इस चक्कर में उक्त कंपनी ने मनपा विज्ञापन नीति को दरकिनार कर बाजार के इलाकों की इमारतों पर अतिक्रमण बढ़ना शुरू किया था. इमारतों पर इनके सहयोग से अनगिनत होर्डिंग लगा कर इमारत को ढंक दिया गया है. कभी कुछ और नाम से पहचाने जानेवाली इमारतें इन दिनों अब ‘ओप्पो’ या ‘वीवो’ के नाम से पुकारी जाने लगी हैं. ‘ओप्पो’ ने हद्द तब कर दी जब इस समूह ने नेताजी मार्केट के नजदीक मातृसेवा संघ द्वारा संचालित एक स्कूल को ‘ओप्पो’ की होर्डिंग से पूरी तरह ढंक दिया.
‘ओप्पो’ के प्रतिनिधि राजन से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने बात नहीं की. वहीं ‘वीवो’ के प्रतिनिधि सुबोध महल्ले ने जानकारी दी कि उन्होंने शहर भर में लगे ‘वीवो’ के होर्डिंग की सूची मनपा विज्ञापन विभाग को सौंपी है. इन्होंने इसकी पुष्टि करने के लिए गुजारिश की है, इसके बाद विभाग द्वारा दी गई नई डिमांड के आधार पर बकाया भुगतान कर दिया जाएगा. अब तक जिस इमारत या विक्रेता के परिसर पर विज्ञापन लगाया जाता था, उनसे अनुमति लेकर काम चलाया जा रहा था. इस हिसाब से मनपा विज्ञापन विभाग के हिसाब से जब कर की ‘डिमांड’ आती थी, उसे अदा कर दिया जाता था.