सावनेर (नागपुर)। श्री हरी विठ्ठल माता रुक्मिणी मतलब करोड़ों श्रद्धालुओं का आराध्य दैवत वारकरी साम्प्रदायों के प्रतिक के रूप में इस भगवान को महाराष्ट्र में ही नहीं तो पुरे विश्व में श्रद्धालुओं के दिल में स्थान है. सावनेर के प्राचीन जागृत देवस्थान के रूप में होली चौक यहां के विट्ठल रुक्मिणी मंदिर की पहचान है. विशेषतः इस मंदिर को एक श्रद्धालु ने कई वर्ष पूर्व करीब 6 से 7 एकड़ खेत की जमीन दान दी थी. आज इस जमीन को करोडो रुपये कीमत है. यह खेत की जमीन हर वर्ष किसान ठेके से लेकर फसल का उत्पादन करते है. इस वजह से देवस्थान को हर वर्ष करीब 40 से 50 हजार रूपये का उत्पन्न हो रहा है. इसके बावजूद मंदिर की खस्ता हालत हो रही है. इसकी ओर कमिटी किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं दे रही. मंदिर के कमिटी में 2 से 3 सदस्य को छोड़ दिया तोह बाकी सभी पदाधिकारी और सदस्य अति वृद्ध तथा बीमार होने से मंदिर की खस्ता हालत की ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा.
मंदिर पर टिन की छत है, जहां जगह-जगह गड्डे पड़े हुए है इस वजह से बारिश से पानी अंदर आता है. मंदिर में पुजारी न होने से मंदिर ज्यादा समय बंद रहता है. मंदिर में किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम नहीं होते. आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर मंदिर पर थोड़ी रोशनाई होती है, उसके अलावा साल में किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम न होने का चित्र हमेशा देखने को मिलता है. इस मंदिर के लिए प्रति वर्ष 40 से 50 हजार रूपये उत्पन्न होकर भी मंदिर की खस्ता हालत हो रही है. वहीं श्री विठ्ठल रुक्मिणी माता की मूर्ति को रंगाया नहीं जाता, जिससे मूर्ति का रंग उखड़ा हुआ निर्देशन में आ रहा है.
मंदिर कमिटी में 2 से 3 सदस्य है. इस संदर्भ में एक सदस्य से पूछताछ करने पर उन्होंने कहां कि, ठेका किसे कितने रूपये का दिया जाता है, कौन ठेका देता है, इतने वर्षों में कभी कमिटी द्वारा वार्षिक सभा भी नहीं ली. हमें कुछ जानकारी नहीं है. इतने वर्षों से आ रहा ठेके का पैसा, उसका हिसाब व वर्ष का ओडिट धर्मदाय आयुक्त ने कमिटी को पत्र द्वारा पूछे व मंदिर की हो रही खस्ता हालत तथा श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखकर करोडो रूपये की संपत्ति वाले इस मंदिर को शासन अपने अंतर्गत लेकर मंदिर का विकास करे ऐसी मांग नागरिक कर रहे है.