नागपुर :हिंगणा स्थित जिला परिषद (ZP) के एक स्कूल में शिक्षा के अधिकार कानून (RTE) के नियमों का पालन न होने को लेकर नालंदा मेश्राम ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। कानून के अनुसार, हर 35 छात्रों पर एक शिक्षक अनिवार्य है, लेकिन इस प्रावधान का उल्लंघन किया गया है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अभय मंत्री ने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्राथमिक शिक्षणाधिकारी, और संबंधित ZP स्कूल की प्रधानाध्यापिका को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। साथ ही वर्तमान स्थिति बनाए रखने (Status Quo) का भी निर्देश दिया गया है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ऋग्वेद ढोरे ने पैरवी की। उन्होंने अदालत को बताया कि प्रतिवादी अधिकारियों को सुनवाई की सूचना दी गई थी, फिर भी वे उपस्थित नहीं हुए।
RTE कानून की धाराओं का उल्लंघन
अधिवक्ता ने दलील दी कि जिला परिषद के सीईओ द्वारा पारित आदेश नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 19 और 25 के विरुद्ध है।
अनुसूची 1(बी) के तहत, 35 छात्रों पर 3 विषयों — विज्ञान व गणित, सामाजिक अध्ययन और भाषा — के लिए कम से कम 3 अलग-अलग शिक्षक अनिवार्य हैं।
वर्ष 2023-24 में 30 सितंबर 2023 तक स्कूल में 35 से अधिक छात्रों का नामांकन हुआ था, जिससे यह स्पष्ट है कि स्कूल को तीन शिक्षकों की आवश्यकता थी।
स्थानांतरण आदेश पर उठे सवाल
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी बताया गया कि संबंधित प्राधिकरण ने 15 मार्च 2024 की अधिसूचना (खंड 1.7, तालिका 3) को नज़रअंदाज़ करते हुए, RTE की धाराओं के विपरीत 29 मई 2025 को याचिकाकर्ता को कार्यमुक्त कर ZP पारडसिंगा में स्थानांतरित करने का आदेश दिया।
यह आदेश पूर्व में पारित एक सरकारी निर्णय (GR) पर आधारित था, जिसे पहले ही हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने उस GR पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश भी पारित किया था।
सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि वर्ष 2023-24 में स्कूल में 41 छात्रों का नामांकन हुआ था। वर्ष 2024-25 के लिए भी 36 से अधिक छात्रों ने पोर्टल पर नामांकन किया है। ऐसे में याचिकाकर्ता का स्कूल में तीसरे शिक्षक के रूप में रहना आवश्यक है, और अभी तक प्रधानाध्यापिका ने उन्हें कार्यमुक्त भी नहीं किया है।