नागपुर: आरटीई प्रवेश के संबंध में तमाम तरह की शिकायतों का निपटारा करने के लिए 19 जुलाई को शिक्षा मंत्री विनोद तावडे की अध्यक्षता में दोपहर 3.30 बजे मारिस कालेज में बैठक का आयोजन किया गया है. दरअसल यह बैठक आरटीई एक्शन कमेटी की शिकायत के बाद रखी गई है. मो. शाहिद शरीफ ने अपनी शिकायतों में बताया था कि 3 किमी से अधिक दूरी वाले छात्रों को प्रवेश दिया गया. जब छात्र प्रवेश लेने गये तो स्कूलों ने नकार दिया.
कई स्कूलों ने नर्सरी, केजी-1,केजी-2 के बाद पहली कक्षा में आने पर छात्रों के प्रवेश रद्द कर दिए. वहीं पालकों को दोबारा प्रक्रिया में शामिल होने को कहा गया. इस तरह कई छात्र शासकीय सुविधा के लाभ वंचित हो गए.
दरअसल स्कूलों द्वारा 15 मार्च 2013 के जीआर का उल्लघंन किया जा रहा है, जिसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि प्रवेश के दौरान पालकों को प्रपत्र क्रमांक-3 देना चाहिए. इस तरह तय हो जाता है कि संबंधित छात्र को आरटीई में प्रवेश मिला है और यह प्रवेश 8वीं कक्षा तक यथावत रहेगा.
कुछ स्कूलों द्वारा लोन नहीं देने की वजह से बैंक द्वारा कार्रवाई कर ताला जड़ दिया गया है. जिन छात्रों को इन स्कूलों में प्रवेश मिला वे वंचित रह गए.
इसमें छात्रों का कोई दोष नहीं है. कई स्कूलों द्वारा पालकों से शुल्क भी वसूला जा रहा है. स्कूलों का कहना होता है कि सरकार से निधि नहीं मिलने की वजह से ही वसूल रहे हैं. योजना के तहत निर्धन छात्रों को यूनिफार्म और किताबें मुफ्त देने का भी प्रावधान किए जाने की मांग की गई है.