Published On : Thu, Jun 7th, 2018

विडियोकॉन’ दिवालिया होने की कगार पर

नई दिल्ली : इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं की उत्पादक कंपनी विडियोकॉन इंडस्ट्रीज के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के नेतृत्व में कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में याचिका दाखिल कर कंपनी को दिवालिया घोषित करने की मांग की है. एनसीएलटी ने बैंकों की याचिका स्वीकार भी कर ली है. विडियोकॉन अब बैंकरप्सी कोड के तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के दायरे में आ गई है. अगले 180 दिनों में बोली के जरिए कंपनी के लिए नए मालिक की तलाश शुरू हो सकती है.

दिवालिया याचिका स्वीकार
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई पीठ ने विडियोकॉन इंडस्ट्रीज के खिलाफ दिवालिया याचिका स्वीकार कर ली है . वेणुगोपाल धूत की फ्लैगशिप कंपनी विडियोकॉन इंडस्ट्रीज पर बैंकों का करीब 20,000 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है और वह चुकाने में अनियमित रही है. विडियोकॉन टेलीकॉम के खिलाफ बैंकरप्सी कोर्ट में दायर अर्जी पर सुनवाई हो सकती है. हालांकि, कंपनी का अब मामूली कारोबार है, लेकिन अब भी कंपनी पर 2000 करोड़ से लेकर 3000 करोड़ तक का लोन बकाया है.

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44 हजार करोड़ कर्ज
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, विडियोकॉन ग्रुप की करीब एक दर्जन कंपनियों पर 44000 ककरोड़ का कर्ज है. सभी के खिलाफ लेनदारों ने मामला कोर्ट में डाला है. आरबीआई ने भी दिवालिया संहिता के तहत कर्ज समाधान वाली सूची में विडियोकॉन को रखा है. हालांकि, विडियोकॉन इंडस्ट्रीज की विदेशी इकाई को दिवालिया अदालत नहीं ले जाया गया है, क्योंकि वह अपने कर्ज का पुनर्भुगतान कर रही है. विडियोकॉन का करीब आधा कर्ज इसकी विदेशी इकाई का है. कंपनी के पास भारत समेत ब्राजील एवं कई अन्य देशों में भी संपत्तियां हैं.

कर्ज चुकाने के लिए बेची संपत्ति
कर्ज चुकाने के लिए पिछले दो साल में विडियोकॉन ने अपनी कई संपत्तियां बेची. इनमें केनस्टार ब्रांड को एवरस्टोन कैपिटल को बेचा गया. विडियोकॉन ने बैंकों को भेजे अपने आश्वासन पत्र में कहा था कि वह कर्ज चुकाने के लिए अपनी जमीन तक बेचेगी. कंपनी का फोर्ट मुंबई में मुख्यालय था, जिसे पिछले साल ही 300 करोड़ रुपए में बेचा गया. टाटा समूह ने यह मुख्यालय खरीदा था.

उम्मीद है …
विडियोकॉन इंडस्ट्रीज के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत को उम्मीद है कि वह बैंकरप्सी प्रॉसेस से बाहर निकल सकेगी. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, धूत को उम्मीद है कि वह नए प्रावधानों का इस्तेमाल करेंगे, जिसके तहत यदि 90 फीसदी कर्जदाता सहमत हों तो केस को वापस लिया जा सकता है. वेणुगोपाल धूत के मुताबिक, कंपनी के मामले में 100 फीसदी लेंडर्स नहीं चाहते कि कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में ले जाया जाए.

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