गोंदिया। महाराष्ट्र राज्य नर्सेज एसोसिएशन की अनिश्चितकालीन हड़ताल का असर अब सीधे अस्पताल के मरीजों पर दिखाई दे रहा है।
मेडिकल कॉलेज प्रशासन द्वारा पहले और दूसरे वर्ष के मेडिकल छात्रों को मरीजों की देखभाल में लगाया जा रहा है लेकिन छात्रों के पास अनुभव की कमी होने के चलते हालात और बिगड़ते जा रहे हैं लिहाज़ा
इलाज की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
मरीजों और उनके परिजनों में गहरा असंतोष
कई परिजन हड़ताल की जानकारी मिलते ही मरीजों को डिस्चार्ज करवाकर बाहर ले जा रहे हैं अब तक कई सर्जरी रद्द हो चुकी हैं कई गंभीर मरीज निजी अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर हैं।
जिन मरीजों के पास निजी इलाज का विकल्प है, वे निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर मरीज अब अपने गांव और घरों की ओर लौटने लगे हैं इससे स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनशीलता और सरकारी सिस्टम की तैयारियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
नर्सिंग स्टाफ की मांगों को लेकर जहां एक ओर सरकार से ठोस निर्णय की अपेक्षा है, वहीं मेडिकल कॉलेज प्रशासन की व्यवस्था भी सवालों के घेरे में है अनुभवहीन छात्रों से मरीजों की सेवा करवाना न तो नैतिक है और न ही सुरक्षित।
बता दें कि विधायक विनोद अग्रवाल द्वारा शिक्षण मंत्री हसन मुश्रीफ को पत्र भेजा जा चुका है, लेकिन जब तक ठोस निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक मरीजों की जान से खिलवाड़ का यह सिलसिला थमता नहीं दिख रहा
सातवें वेतन की विसंगतियों को तत्काल दूर किया जाए
गोंदिया के आंदोलन में शामिल 283 नसों के मुख्य मांगों में- सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों को तत्काल दूर करने , संविदा भर्ती रद्द कर 100% स्थाई भर्ती की जाए , रिक्त पदों में कम से कम 50% पदोन्नति से पद भरे जाएं , नसों के 40 वर्षों से लंबित भत्तों को मंजूरी दी जाए।
गौरतलब है कि आंदोलन महाराष्ट्र के आजाद मैदान मुंबई से 15 जुलाई को शुरू हुआ और अब 18 जुलाई से राज्यव्यापी अनिश्चितकालीन काम बंद आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है।
इस बेमुद्दत हड़ताल का असर गोंदिया जिले के स्वास्थ्य सेवाओं में अब साफ तौर पर देखा जा रहा है ।
रवि आर्य