गोंदिया। वो कहते ना धरती का दूसरा भगवान डॉक्टर होता है किसी की शारीरिक पीड़ा को दूर करने की क्षमता डॉक्टर में पाई जाती है।
डॉक्टर अपने इलाज से मरीज को बेहतर जीवन देते हैं दरअसल ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र के गोंदिया में 29 जनवरी को हुआ है।
बी.जे हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड गोंदिया के जाने-माने लेप्रोस्कोपिक और यूरो सर्जन डॉ विकास जैन ने एक महिला मरीज के मूत्राशय से 1.67 किलोग्राम का पत्थर निकाला है यह एक दुर्लभ घटना है जिसे 2 घंटे की लंबी सर्जरी , सफल ऑपरेशन द्वारा अंजाम दिया गया।
महिला मरीज की हालत में सुधार है और अगले दो-तीन दिनों में उसे अस्पताल से छुट्टी मिलने की उम्मीद है।
आर्थिक रूप से कमजोर महिला पिछले 6 सालों से झेल रही थी असहनीय पीड़ा
पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के वारासिवनी कस्बे की निवासी 52 वर्षीय महिला मरीज कृष्णा राजेंद्र सहारे यह पिछले 6 साल से असहनीय पीड़ा को झेल रही थी , महिला मरीज का पति देहाड़ी मजदूर है उनके पांच बच्चे हैं लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इलाज के लिए किसी बड़े शहर नहीं जा सके और इलाज के लिए स्थानीय डॉक्टरों पर ही निर्भर थे।
वारासिवनी के डॉक्टर यह कहकर दर्द निवारक दवा देते थे कि उसे पथरी की समस्या है लेकिन महिला मरीज को नहीं पता था की पथरी इतने बड़े पत्थर का रूप ले चुकी है।
हाल ही में कुछ दिन पहले महिला मरीज को फिर से असहनीय दर्द हुआ जिसके बाद उसकी बड़ी बेटी जिसकी शादी गोंदिया में हुई थी ने अपनी मां को गोंदिया के डॉ. विकास जैन के पास लेकर पहुंची वहां 27 जनवरी को एक्स-रे रिपोर्ट में पता चला कि महिला के मूत्राशय में बड़ी पथरी है वह भी भारी वजनदार , मरीज की स्थिति को देखते हुए उन्होंने ऑपरेशन की सलाह दी।
ऑपरेशन में , महिला के मूत्राशय की नली के पास फंसा बड़े साइज का पत्थर निकला
महिला के हालात काफी खराब थी ऑपरेशन का भी काफी जोखिम उठाकर डॉ. विकास जैन ने बुधवार 29 जनवरी को अपनी टीम के साथ मिलकर महिला मरीज का ऑपरेशन किया लेकिन जब उन्होंने पथरी को निकलना शुरू किया तो खुद इतने बड़े पत्थर की समस्या को देख कुछ देर के लिए वे भी हैरान रह गए , 2 घंटे की लंबी सर्जरी कर 1.67 किलोग्राम का वजन का सबसे भारी पत्थर सफलतापूर्वक निकाला गया।
डॉक्टर के मुताबिक महिला मरीज के मूत्राशय से बड़े साइज की वजनदार पत्थर को नहीं निकला जाता तो मरीज को आगे चलकर बड़ी परेशानी हो सकती थी।
यह पत्थर डॉ. विकास जैन द्वारा 2014 में मरीज के पेट से निकले गए पत्थर से काफी बड़ा और भारी है जिसके लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था।
डॉ विकास जैन ने बताया मरीज ने बहुत सहयोग किया और इसी वजह से ऑपरेशन सफल रहा और मरीज भी सर्जरी के बाद सकुशल है ।
रवि आर्य