उद्धव ठाकरे नहीं पचा पा रहे बीजेपी की कामियाबी,मंदिर मुद्दा उठाना उनकी कुटिल राजनीतिक चाल
नागपुर: संघ की विचारधारा से मेल खाने वाले वाले मराठी अख़बार तरुण भारत ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है। अख़बार के संपादकीय में ठाकरे की पंढरपुर में आयोजित सभा में दिए गए भाषण की आलोचना करते हुए कहा गया है कि कल तक गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में रहा दल अब छोटे भाई की भूमिका में पहुँच गया है। अपनी इस राजनीतिक स्थिति को शिवसेना प्रमुख पचा नहीं पा रहे है। राम मंदिर का मुद्दा काफ़ी पुराना है लेकिन शिवसेना ऐसे चुनाव से पहले इसे उठा रही है। अगर 19 के चुनाव में हार होती है तब क्या करेंगे इसका डर ठाकरे को सता रहा है। राजनीतिक रूप से मेहनत कर बीजेपी आज स्थिति में आयी है लेकिन शिवसेना को लगता है कि जिस तरह बीजेपी को जनता ने सत्ता सौंपी वैसे उन्हें भी सौप सकती है। कौन किस मकसद से मंदिर को लेकर आंदोलन कर रहा है जनता को सब पता है। बीजेपी मंदिर के लिए कानून लाने के लिए संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता है। इस बात की जानकारी शिवसेना को भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उचित समय पर इस पर फैसला लेंगे यह भी तय है बावजूद इसके राम मंदिर का मुद्दा उठाना यह शिवसेना की कुटिल राजनीतिक चाल का हिस्सा है। मुंबई के अपने घर में बैठकर उद्धव ठाकरे किसानों की चिंता करते है जबकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इतिहास की सबसे बड़ी कर्जमाफ़ी का फैसला लिया।
संपादकीय में मोदी की जमकर तारीफ करते हुए लिखा गया हैं कि जो व्यक्ति 18 घंटे काम करता है उसे चोर कहाँ जा रहा है। मोदी जो काम कर रहे है वह सबको दिख रहा है जिसे नहीं दिख रहा है वह ढोंगी है। पंढरपुर में विट्टल के दर्शन कर उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को सत्ता से हटाकर अपने लिए सत्ता की प्रार्थना की होगी। केंद्र और राज्य में दोनों सरकार में शिवसेना सत्ता में शामिल है। फिर भी शिवसेना प्रमुख सरकार को चोर कह रहे है। वह तय नहीं कर पा रहे है कि उन्हें सत्ता में रहना है या नहीं,क्या वह सरकार को चोर कहकर अपने पार्टी के मंत्रियों को भी चोर नहीं कह रहे। शिवसेना अब बालासाहेब ठाकरे वाली शिवसेना नहीं रही। बालासाहेब भी सरकार की आलोचना करते थे लेकिन इसके पीछे उनका धेय जनता पर केंद्रित होता था। उद्धव को बोलने का तरीका ही नहीं पता कि वह क्या,क्यों और किसे कहना चाहते है।