- मेघाच्छादित वातावरण से फसल हुई बर्बाद
- फसलों के संरक्षण पर कृषि सहायक व कीट नियंत्रक का मार्गदर्शन
उमरखेड़ (यवतमाल)। कृषि विभाग की ओर से उपविभाग पुसद अंतर्गत हाल ही में अरहर व चने की फसल संरक्षण मुहिम शुरू की गई. मेघाच्छादित वातावरण से अरहर व चने की फसल पर कीड़ों का दुष्प्रभाव के फलस्वरूप नुकसान होने के कगार पर पहुँच गया है. इसलिए दोनों फसलों को बचाने के लिए किसानों ने कृषि सहायक व कीट नियंत्रकों द्वारा साप्ताहिक गाँव बैठक के माध्यम से मार्गदर्शन किया जा रहा है.
इसमें बताया गया है कि अरहर की फसल पर फूल निकलने की अवस्था में हेलिकोवर्पा अंडे व लार्वा नजर आने पर उसे निकाल कर नष्ट करें व फसल पर नीम का अर्क ५ प्रतिशत अथवा एच.एन.पी.वी. ५०० मि.ली. प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें. फली के छिद्रक कीड़ों के लिए इमामेक्टिान बेन्जोएट ५ प्रतिशत, एस.जी. ४.४ मि.ली. प्रति १० लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें. अरहर के पौधों के नीचे बोरे रख कर पौधों को हिलाएं तथा कीड़ों को नष्ट कर दें. रासायनिक कीटनाशक का छिड़काव पट्टा पद्धति अथवा खंड पद्धति से करने पर परोपकारी क्रीड़ा के संवर्धन में मदद मिलेगी.
चने की फसलों के लार्वा को चुनचुन कर नष्ट करें. ५ प्रतिशत नीम के अर्क की निर्धारित मात्रा का छिड़काव करें. घाटे क्रीड़ों को छोटी अवस्था में ही एच.एन.पी.वी. ५०० मि.लि. प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें.
चने की फसल पर हुए मर रोग के लिए कर्बान्डीजम २ ग्राम प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें. उसी प्रकार अरहर व चने की फसल को बचाने संबंधी उपाय योजना करने का आह्वान उपविभागीय कृषि अधिकारी कैलाश वानखेड़े, पुसद व कीट नियंत्रक एस.एस. देशपांडे, पुसद ने की है.
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