नागपुर: अपनी मांगों को लेकर आदिवासी विद्यार्थी संघ विदर्भ के बैनर तले सोमवार को आदिवासी विद्यार्थियों ने सविंधान चौक पर भव्य आंदोलन किया. इस दौरान सम्पूर्ण विदर्भ से सैकड़ों की तादाद में विद्यार्थी मौजूद थे. विद्यार्थियों का कहना है कि सरकार ने मई 2017 को सीधे लाभ हस्तांतरण की योजना (डीबीटी ) की शुरुआत की थी. इसके साथ ही 2016 में पंडित दीनदयाल योजना शुरू की थी. डीबीटी योजना के तहत हॉस्टल में रहनेवाले विद्यार्थियों को साल के 7 हजार रुपए दिए जाते हैं. तो वहीं आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस के लिए विद्यार्थियों के खातों में 4500 हजार रुपए, इतनी राशि दो बार में दी जाती है. जो कि विद्यार्थियों के लिए अपर्याप्त है.
पंडित दीनदयाल योजना के तहत हॉस्टल के बाहर रहनेवाले विद्यार्थियों को शिक्षा से संबंधित किताबें, बेडिंग साहित्य, रूम का किराया और भोजन के लिए 6 हजार रुपए देने का निर्णय लिया है. विद्यार्थियों ने मांग कि है कि डीबीटी योजना बंद की जाए और पहले की तरह ही विद्यार्थियों को शिक्षा से सम्बंधित सामग्रियां उपलब्ध कराई जाएं. हॉस्टल में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू किया गया है. जिससे
Harshad Salame
ग्रामीण भाग में रहनेवाले विद्यार्थियों को परेशानी होती है. इसलिए ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया को बंद कर ऑफलाइन व्यवस्था शुरू की जाए. पंडित दीनदयाल योजना बंद की जाए. आदिवासी विद्यार्थीयों की छात्रवृत्ति तुरंत दी जाए. इन मांगो को लेकर विद्यार्थियों ने प्रदर्शन किया.
इस दौरान बी.एस.डब्ल्यू के विद्यार्थी हर्षद सलामे ने कहा कि डीबीटी योजना से विद्यार्थियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जिसके कारण इस योजना को सरकार की ओर से बंद किया जाना चाहिए. बी.ए. तीसरे वर्ष के विद्यार्थी करण राऊत ने कहा कि जिस तरह से पहले आदिवासी विद्यार्थियों को शिक्षा से संबन्धित सामग्रियां मिलती थी, उसी तरह से व्यवस्था की जाए. तो वहीं रामटेक के बी.ए के विद्यार्थी महादेव उईके ने कहा कि ग्रामीण भागों मे विद्यार्थी होस्टल के लिए ऑनलाइन आवदेन नहीं कर सकते. क्योंकि वहां इंटरनेट और कंप्यूटर की सुविधा नहीं होती है. जिसके कारण ऑनलाइन पद्धति बंद कर ऑफलाइन प्रवेश प्रक्रिया ही शुरू रखी जानी चाहिए.