Published On : Tue, Oct 17th, 2017

तथाकथित ऑरेंज स्ट्रीट अतिक्रमण के साए में

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नागपुर: मनपा प्रशासन और सत्ताधारी आए दिन कोई न कोई योजना की घोषणा कर शहर को उच्च दर्जे की श्रेणी में लाने के लिए खुद की पीठ थपथपाते नज़र आ जाएगा. लेकिन जब इसके तह में जाने पर पता चलता है कि घोषित योजनाओं के लिए प्रस्तावित जगह वर्तमान में मनपा की है ही नहीं, या फिर है तो कब्ज़ा किसी और का. इस स्थिति में घोषित योजनाएं कागजों तक ही सीमित रह गई या फिर ऐसा होने की आशंका प्रबल नज़र आ रही हैं.

तथाकथित लंदन स्ट्रीट, बाद में ऑरेंज सिटी स्ट्रीट और अब कल ही आमसभा में प्रायोजित हंगामें के मध्य इसी जगह के लिए नए सिरे से बीओटी पर आधारित व्यावसायिक-रहवासी प्रकल्प को मंजूरी दिलवाई गई. जब इस सन्दर्भ में मनपा प्रकल्प विभाग के प्रमुख बोरकर से तैयार किए गए प्रस्ताव का मुआयना करने की मांग की गई तो उन्होंने सिरे से इंकार करते हुए जवाब दिया कि कोई प्रोजेट रिपोर्ट बना ही नहीं हैं. एक अन्य ने जब इसी सन्दर्भ में जानकारी मांगी तो प्रकल्प विभाग के अधिकारी का कहना था कि उन्हें आयुक्त ने कोई भी प्रकल्प सम्बन्धी कागजात दिखाने-देने के लिए मना किया हैं. वहीं बोरकर ने यह जानकारी दी कि प्रकल्प व मूल दस्तावेज ‘इस्टेट’ विभाग के पास हैं,इसलिए उनसे तलब करें.


जब ‘इस्टेट’ विभाग से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि प्रकल्प की जानकारी प्रकल्प विभाग के पास ही हैं,वे गुमराह कर रहे हैं.उनके पास जिलाधिकारी से हस्तांतरित कागजात सह मूल नक्शा की प्रत है.

मनपा के विभागीय फेरे लेने के बाद पूर्व की लंदन स्ट्रीट में से जयताला मार्ग से लेकर हिंगना टी पॉइंट तक निरिक्षण करने पर यही आभास हुआ कि मनपा को इस जगह को अतिक्रमणकारियों से मुक्त करवाने के लिए हर छोर पर पसीना बहाना पड़ेगा. इन अतिक्रमणकारियों में कबाड़ी,डेयरी,बस-वन-ट्रक पार्किंग व गैरेज,शरणार्थियों व् उनके पशुओं का शरण स्थल,धार्मिक स्थल व् धर्मिक कार्यक्रमों का आयोजन,आपली बस डिपोआदि आदि का समावेश हैं. इसके पूर्व जयताला रोड से वर्धा रोड तक १५ अवैध सड़कें,बिल्डरों को उनके स्कीम तक आवाजाही के लिए मनपा खर्चे से मांर्ग निर्माण करवा कर दिए जाने का मामला ‘नागपुर टुडे’ ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था.


उल्लेखनीय यह है कि कल आमसभा में आनन्-फानन में उक्त स्थल के लिए बनाई गई योजना को सार्वजानिक किए बगैर मंजूरी दिया जाना एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हैं, ताकि लाभार्थियों की संख्या दोनों ओर से सीमित रहे. मनपा में कार्यप्रणाली अमूमन सार्वजानिक हुआ करती थी, लेकिन अब संकुचित होते जा रही है. जिसके कारण योजनाओं को जमीन पर सफलता नहीं मिल पा रही है.