Published On : Fri, Mar 10th, 2017

ब्राह्मणवाद, मनुवाद और हिन्दुत्त्व के खिलाफ नागपुर में महिलाओं का यलगार

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नागपुर: 
नागपुर के ऐतिहासिक इंदौरा मैदान में आज फिर एक बार इतिहास रचा गया. पांच हजार से ज्यादा की संख्या में एकत्रित महिलाओं ने ब्राह्मणवाद, मनुवाद और हिंदुत्व के खिलाफ एक साथ यलगार बोल दिया. क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले के 120 वें स्मृति दिन के निमित्त आयोजित ‘चलो नागपुर’ मार्च ने यहाँ एकजुट महिलाओं को असमानता और असहिष्णुता के प्रतिरोध में दृढ़ संकल्प के साथ संघर्ष करने के भरोसे से भर दिया. शब्द, गीत, नृत्य, कविता, नाट्य और कला के प्रत्येक माध्यम को यहाँ एकत्रित महिलाओं ने अपनी आवाज़ बुलंद करने का जरिया बनाने की घोषणा की, महिलाओं ने पुरजोर स्वर में कहा, “न्याय, मैत्री, शांति, आज़ादी, समानता और आत्मसम्मान हमारा हक़, हमारा अधिकार.”

‘चलो नागपुर’ मार्च में शहर और देहात, घर और गली, संगठित और असंगठित, विश्वविद्यालय परिसर और पूरी तरह निरक्षर, हर जगह-हर हिस्से से महिलाएं सहभागी हुईं. इस मार्च का घोष वाक्य था, ‘संविधान प्रदत्त अधिकारों की सुनिश्चितता.’ आयोजकों ने पूरी दृढ़ता से दोहराया कि ‘धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक राज्य में किसी को भी भेदभाव, अपमान, हिंसा, दमन अथवा समुदाय के आधार पर अत्याचार करने का अधिकार किसी को भी नहीं है. ‘चलो नागपुर’ मार्च विविधता और सामूहिकता की ताकत के उत्सव का आयोजन है.’

आज का आयोजन बाइक रैली से शुरु हुआ. नवयुवक-युवतियों ने गीत-कविताओं के जरिए मनुवाद, ब्राह्मणवाद, जातिभेद का निषेध किया और विविधता को पुष्ट करने का सन्देश दिया. ‘चलो नागपुर’ मार्च में शोषित एवं हाशिए पर जीवन बिताने वाली उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, तेलंगाना, ओड़ीशा जैसे राज्यों से महिलाएं सहभागी हुईं और अपने प्रतिरोध की आवाज को बखूबी बुलंदी तक पहुँचाया.


मानवाधिकार कार्यकर्ता शबनम हाश्मी ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय में इकट्ठा ये हजारों महिलाएं बड़े व्यापारिक घरानों और सम्प्रदायवादी पितृसत्तात्मक ताकतों के बीच के गठजोड़ को न सिर्फ उजागर कर रही हैं, बल्कि वर्तमान शासन के दौर में संवैधानिक ढांचे को कब्रगाह में तब्दील करने की हर साजिश के खिलाफ यलगार है.”

मानवाधिकार कार्यकर्ता मंजुला प्रदीप ने कहा, “हिंदुत्व और ब्राह्मणवाद ही असल में शोषण के दो मुख्य स्तम्भ हैं. इन स्तंभों को चूर-चूर करने के लिए हमें एकता, सातत्य और प्रतिरोध की मजबूत ताकत चाहिए और यह ताकत बनाने ही आज हम यहाँ नागपुर में एकजुट हैं.”


बिट्टू ने लैंगिक शोषण के मूल में छिपे जातिदंभ की बात की और उनके रोजगार, जीवन और अन्य अधिकारों की प्रवंचना पर विस्तार से बात की. उन्होंने कहा कि पितृसत्ता और मनुवाद के खात्मे के बिना तृतीयपंथियों, समलिगिओं पर अत्याचार, अन्याय ख़त्म नहीं होंगे.

जया शर्मा ने अपने संबोधन में संप्रदायवाद की लड़ाई नारीत्व के बूते लड़ने की बात कही. उन्होंने कहा कि चलो नागपुर के जरिए हम संघ परिवार को बता देना चाहते हैं कि दलित, बहुजन, मुस्लिम, देह व्यवसायी, आदिवासी, समलिंगी, तृतीयपंथी एवं नवयुवतियां देश सीमा से परे एकत्रित होकर यलगार की घोषणा कर चुकी हैं.


राधिका अम्मा (रोहित वेमूला की माँ) ने कहा, “मैं न्याय पर यकीन करती हूँ इसीलिए इस अभियान का हिस्सा हूँ, क्योंकि मैं नहीं चाहती कि किसी और रोहित को किसी तरह के अन्याय का सामना करना पड़े. रोहित की आत्महत्या के बाद से मेरी आर्थिक हैसियत, मेरी जाति पर तरह-तरह के सवाल पूछकर बहुत दवाव बनाया गया, लेकिन मैं अडिग हूँ.”


कार्यक्रम में दस सूत्रीय प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पारित किया गया. इसमें

  1. ब्राह्मणवाद, मनुवाद, हिंदुत्व के गठजोड़ से लड़ने का संकल्प किया गया.
  2. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर राज्याश्रित हमले ख़त्म करने, दलित-बहुजन विद्यार्थियों, किसानों की आत्महत्याएं रोकने, विस्थापन आधारित विकास की अवधारणा ख़त्म करने, बलात्कार को राज्य द्वारा हथियार बनाने, सांप्रदायिक हिंसा के जरिए महिलाओं पर नियंत्रण करने, विशाविद्यालयों की संप्रभुता पर हमले रोकने की मांग की गयी.
  3. हर तरह के लैंगिक शोषण, भेदभाव, नैतिक चौकीदारी ख़त्म करने, गर्भपात, दहेज़ हत्याएं, तेजाब के हमले और महिला मजदूरों के शोषण और यौन उत्पीड़न को पूरी तरह ख़त्म करने की मांग की गयी.
  4. जाति आधारित हर तरह के अत्याचार की निंदा करते हुए देवदासी, जोगिनी, बेड़िनी प्रथा को मानवता पर कलंक करार देते हुए इनके समूल निर्मूलन की मांग की गयी.
  5. संविधान की मंशा के अनुरुप महिलाओं को मौके, रोजगार, आत्मसम्मान एवं न्याय में बराबरी के अधिकार पर अमल के लिए लगातार प्रयास करते रहने का संकल्प लिया गया.
  6. जाति एवं लिंग आधारित अन्याय के साथ महिलाओं और बच्चों को घरेलू हिंसा के मकड़जाल से मुक्त कराने का संकल्प लिया गया, साथ ही शारीरिक तौर पर अक्षम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों की सुनिश्चितता के प्रयास और धारा 377 को समाप्त कर परालिंगी और एलजीबीटीएचआइक्यू समुदाय के अधिकार दिलाने का संकल्प लिया.
  7. महिलाओं के आरक्षण का हिस्सा 33 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाना.
  8. विविधता सुनिश्चित की जानी चैये ताकि महिलाएं जाति, मजहब, संप्रदाय, लिंग, क्षमता, यौनता से उबरकर निर्भयता और स्वतंत्र नागरिक की तरह जीवन जीने लगें.
  9. राजनीतिक वैमनस्यता एवं बाहुबल के जरिए समाज में हिंसा फ़ैलाने वाले तत्त्वों की पहचान की जाए और इनसे निपटने के लिए राज्य की जिम्मेदारियां तय की जाएं.

चलो नागपुर मार्च में एकजुट सभी महिलाएं समानता, आत्मसम्मान और मुक्ति के लिए सतत संघर्षरत रहेंगी.