Published On : Mon, Sep 26th, 2016

संतरों का नहीं गड्ढों से सने शहर में आपका स्वागत है

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नागपुर : नागपुर महानगरपालिका के मुखिया और सत्तापक्ष यूँ तो सम्पूर्ण शहर को अपने आधिकारिक क्षेत्र होने का दावा करती है, वहीँ जब कोई समस्या उपजी और हंगामा हुआ तो दूसरे विभागों की ओर उंगलियां दिखाने से जरा भी देर नहीं लगाती और अपना पल्ला यूँ झड़क लेती मानो निर्दोष पर दोष थोंपा जा रहा है. जब आपे से बाहर मसला पहुँच जाता और ऐसे में खुद की बात को सही सिद्ध करने के लिए निर्माण करने वाले को ही समस्या से निपटने का निर्देश दे दिया जाता है. अब समस्या निर्माण करने वाले मामला शांत करने हेतु दर-दर की ठोंकरे खा रहे है.

शहर में अधिकांश सड़के मनपा की है, और इसके पुनर्निर्माण सह मरम्मत का जिम्मा मनपा की है. वर्षों से लगभग हर साल प्रत्येक महत्वपूर्ण सड़कों का पुनः निर्माण के साथ जहाँ मरम्मत की जरुरत होती है, वहाँ मरम्मत किया जाता है. प्रत्येक वर्ष सिर्फ इससे संबंधित मद ( हेड ) में करोडों रूपए खर्च किये जाते है. सड़क निर्माता पुनः निर्माण सह मरम्मत कार्य का ठेका पाने के लिए तय दर से न्यूनतम दर भर कर ठेका लेते है, वह भी अन्य ठेकेदार से समझौते के तहत, फिर सम्बंधित पदाधिकारी-अधिकारियों को काम करने देने के एवज में “कमीशन” बाँटते है. सब खर्च को जोड़ा जाये तो ३०-४०% राशि ठेकेदार की यूँ ही चली जाती है, फिर कैसे मुमकिन हो कि उन्नत किस्म के सड़कों का निर्माण हो या फिर की गई मरम्मत ज्यादा से ज्यादा दिन टिके.

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उक्त घटनाक्रम का सीधा-साधा एक शब्दों में जवाब है……… असंभव
इस साल वर्षा ऋतू की पहली बारिश ने सड़क निर्माताओं सहित मनपा प्रशासन की पोल ऐसी खोली की आज तो यह सिद्ध हो चूका है कि सड़क निर्माण विभाग से जुड़े सभी ने जमकर धांधली की. स्मार्ट शहर बनाने की सूची में नागपुर आ तो गया लेकिन शहर की सडकों के गड्ढे आजतक गिने नहीं जा सके. सही भी है चंद गड्ढ़े हो तो कोई बात बने ,गड्ढों से सराबोर होने से सड़क दिखाई ही नहीं दे रहे.

वातानकूलित कक्ष में बैठ ज्ञान बाँटने वाले अधिकारी सड़कों की दशा जानने और आवाजाही करने वालों का दर्द समझने के लिए तैयार नहीं है. जाँच समिति में शामिल अधिकारियों ने खुलासा कर न तो स्वीकारा और न ही दोषी ठेकेदारों को काली सूची में डालने की पहल की है. इसके पीछे भी एक बड़ा कारण यह है जो ठेकेदारों का कहना है कि समिति सदस्य सहित मनपा के कई अधिकारी-नगरसेवक अप्रत्यक्ष रूप से मनपा में ठेकेदारी करते है या फिर इस व्यवसाय में निवेशक की भूमिका में है. लेकिन इस सच्चाई के बावजूद जर्जर सड़क का मसला सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है. इस वजह से सितंबर माह की आमसभा अबतक नहीं ली गई, क्योंकि विपक्ष सह सत्तापक्ष के नगरसेवक जर्जर सड़कों का मामला गर्म कर हंगामा कर देंगे, मनपा चुनाव नजदीक और दिग्गज मंत्रियों का शहर होने से काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ सकती है.

अधिकारी-पदाधिकारी के मध्य उक्त समस्या से उबरने के लिए दिग्गजों के मध्य मंथन का दौर जारी है. इसी बीच अधिकारियों द्वारा मनपा प्रशासन को बचाने के लिए दोषी ठेकेदारों का रिपोर्ट समस्या सुलझाने हेतु किसी विशिष्ट हाथों में सौंपा गया है. इनके द्वारा दोषी ठेकेदारों के सरगना को संपर्क किया गया है, इनसे मनमाफिक समझौता हो गया तो मनपा प्रशासन को राहत मिलेंगी.

Nagpur Damage Roads
जर्जर सड़कों से दुर्घटनाएं बढ़ी

मनपा प्रशासन की बड़बोलेपन की वजह से शहर के सड़कों की यह दुर्दशा हुई है. इस कारण आये दिन सड़क दुर्घटना के चपेट में नागरिक आ रहे है, साथ ही इन जर्जर सड़कों की वजह से बच्चे-बुजुर्ग आदि को स्वास्थ्य संबंधी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

जाँच समिति बोगस
जाँच समिति सहित जाँच के दौरान दिखने वाले अधिकारी सभी एक होकर कागजों पर सड़क सही दिखने वाले सड़कों का मुआयना कर रहे है. जिसमें उन सड़कों का मुआयना है, जिन सड़कों की ठेकेदारों से पुनः मरम्मत करवाई जा सकती है. कुल मिला कर दोषी ठेकेदारों को बचाने में समिति और समिति संग दौरा करने वाले अधिकारी मग्न है, इसकी कीमत दोषी ठेकेदार वर्ग पूरा कर रहा है.

सड़कों से आर्थिक स्थिति सुधारने में मदमस्त सफेदपोश
मंत्रियों के वफादार को आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए उन्हें नियम-शर्तो में बैठने वाले ठेकेदारों ( सड़क आदि ) को लेकर आने का निर्देश पिछले कुछ सालों से दिया जा रहा है. इन ठेकेदारों को काम दिलवाने के एवज में संबंधितों को सड़क निर्माण की आड़ में आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का खेल बड़ी चतुराई से जारी है.

– राजीव रंजन कुशवाहा

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