नागपुर: पुराने भंडारा रोड के विस्तार की योजना भले ही 25 वर्ष पूर्व तैयार की गई थी, लेकिन न्यायिक प्रक्रिया के चलते मामला वर्षों से अटका हुआ है। हाल ही में जब इस योजना पर अमल शुरू हुआ, तो कुछ सम्पत्तिधारकों ने पुनः उच्च न्यायालय का रुख किया। अधिग्रहण प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील द्वारा कोर्ट में तर्क रखे गए। इसके बाद सरकारी पक्ष ने हाई कोर्ट को आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक किसी भी याचिकाकर्ता को विस्थापित नहीं किया जाएगा और कोई नया कदम नहीं उठाया जाएगा।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता भांगडे तथा मनपा की ओर से अधिवक्ता जैमीनी कासट ने पैरवी की। जानकारी के अनुसार, कुल 89 सम्पत्तिधारकों की ओर से याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि भूमि अधिग्रहण अधिकारी द्वारा बिना पूर्ण प्रक्रिया अपनाए अधिग्रहण की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
कोर्ट का रुख सख्त
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यदि सरकारी पक्ष कोई भी विस्थापन संबंधित कदम उठाता है, तो याचिकाकर्ताओं को पुनः न्यायालय आने का पूरा अधिकार होगा। कोर्ट को यह भी बताया गया कि राज्य सरकार ने 31 दिसंबर 2024 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन अधिनियम, 2013 के तहत अधिसूचना जारी की, जिसमें अधिनियम की धारा 19 (1) और 19 (2) के नियमों का पालन नहीं किया गया। न तो पुनर्वासन की प्रक्रिया अपनाई गई और न ही आवश्यक निधि जमा की गई। याचिकाकर्ताओं ने प्रशासन की कार्यप्रणाली को पूरी तरह गलत बताया।
पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने नगर विकास विभाग, जिलाधिकारी, एसडीओ और मनपा को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए थे।
विकास योजना का इतिहास
वर्ष 2000 में तत्कालीन नगर आयुक्त टी. चंद्रशेखर द्वारा स्वीकृत 43 विकास परियोजनाओं में पुराना भंडारा रोड चौड़ीकरण भी शामिल था। 7 जनवरी 2000 को इस योजना को मंजूरी दी गई थी। शुरुआत में कई घरों को तोड़कर मुआवजा देकर अधिग्रहण किया गया था। 68 सम्पत्तिधारकों ने स्वेच्छा से संपत्ति देने की स्वीकृति भी दी थी। इस योजना के लिए राज्य सरकार ने 339 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है।
सड़क निर्माण में देरी के चलते मामला 2017 में उच्च न्यायालय में पहुंचा, जहां 19 जुलाई 2017 को कोर्ट ने सड़क निर्माण कार्य आरंभ करने का आदेश दिया। इसके बाद कार्य शुरू हुआ, लेकिन अब एक बार फिर मामला न्यायालय में लंबित हो गया है।