नागपुर: सुको के बाद उच्च न्यायालय ने भी शहर सीमा के भीतर लाइसेंसी शराब दुकानों, बार आदि को तत्काल शुरू करने के आदेश राज्य आबकारी विभाग को दिए। इससे इस व्यवसाय से जुड़े प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लोगों में नई ऊर्जा देखने को मिल रही हैं। क्योंकि बंदी की वजह से 25 से 30 हज़ार लोगों की नौकरी व संबंधित छोटे-मोटे व्यवसाय बंद हो गए थे। लगभग 6-7 माह कोई बेकारी तो कोई दिहाड़ी पर काम कर जीवन यापन कर रहा था। लाइसेंसी पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा था। अब अगले सप्ताह से पुनः शराब का व्यवसाय पूरे शबाब में फलने-फूलने लगेगा। वह भी लाइसेंस के नियम-शर्तों की अवहेलना कर, आबकारी विभाग सरकारी व खुद के मासिक राजस्व के फेर में नज़रअंदाज करती रहेगी।
बिना लाइसेंस धारक ग्राहकों को शराब बेची व पिलाई जाएगी
आबकारी विभाग के नियमानुसार शराब बेचने व परोसने वाले को खरीददार के पास लाइसेंस की पुष्टि के बाद शराब देना चाहिए, लेकिन न वाइन शॉप और न ही बार वाले किसी का लाइसेंस जांचते हैं। शराब मांगनेवालों को बेचने व उनसे बेचे गई शराब की कीमत वसूलने में मदमस्त देखे गए हैं। इसका आंकलन मासांत में बेची गई शराब और उसके अनुपात में लाइसेंसी शराब पीने वालों की संख्या से लगाया जा सकता हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखना हो तो आबकारी विभाग किसी बार या वाइन शॉप के समक्ष शराब के खरीददार व पीने वालों के पास लाइसेंस की जांच करने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
असली के फेर में नकली-मध्यप्रदेश की शराब परोसने
बार और वाइन शॉप में सिर्फ शराब पीने के आदि जो नियमित आने व खरीदने के एवज में छूट की मांग करते है,वैसे ग्राहकों को नकली या मध्यप्रदेश की सस्ती शराब मुहैय्या करवाने की जानकारी मिली है। यह जानकारी आबकारी विभाग के निरीक्षकों को भली-भांति होती है. सिर्फ मासिक कमीशन के चक्कर में चुप्पी साधी है।
नाबालिकों को पिलाई जाएगी, नाबालिकों से काम कराया जाएगा
शराब के लाइसेंसी विक्रेता शराब मांगनेवाले की उम्र का बंधन का पालन न करते हुए सिर्फ कमाई के चक्कर में शराब मांग के अनुरूप थमा देते हैं। बार वाले तो नाबालिक को बार में बिठाकर रिझा-रिझा कर शराब पिलाने के अलावा नाबालिकों से बार में नौकरी कराते हैं। ये काफी सस्ते कामगार होते हैं।
अनहइजेनिक खाद्य पदार्थों को चखने में परोसे जाएंगे
बार में चखना का महत्व सिर्फ पीने वाला और पिलाने वाला ही समझता है। पीने वालों को फ्री में तो पिलाने वाले को ग्राहक पटाने के लिए व्यवस्था करनी पड़ती है। इस चक्कर में पिलाने वाला सस्ती व अनहैजेनिक चखने को परोसता है। इससे पीने-पिलाने वालों की जेब पर कोई खास असर नहीं पड़ता है। इस ओर न कभी आबकारी विभाग और न फ़ूड एंड ड्रग विभाग निरीक्षण करता है।
न चलने वाले ख़राब ब्रांड स्कीम के तहत खपाया जाता
शराब में आए दिन नए ब्रांड प्रस्तुत होते रहते हैं। जो चल गया उसकी कीमत बढ़ जाती है और जो नहीं चल पाया उसमें नई स्कीम निकाल कर ग्राहकों में खपाया जाता हैं। स्कीम के चक्कर में अब तक अनगिनत ब्रांड के शराब की स्टॉक ग्राहकों में निपटा दी गई है।
न्यूनतम वेतन कामगारों को नहीं दी जाती
बार या वाइन शॉप या फिर परमिट रूम में कार्यरत कर्मी सहित इनके किचन में कार्यरत कर्मी को मासिक वेतन काफी मामूली दी जाती है। कामगार आयुक्तालय के निर्देशानुसार तय न्युनतम वेतन लगभग कोई भी लाइसेंसी नहीं देता है। इनके किचन व शौचालय इतने गंदे होते है कि न होने वाली बीमारी भी हो जाए। इसके स्वास्थ्य के साथ लाइसेंसी खिलवाड़ ही करते रहते हैं। ऐसे कर्मियों के लिए ईएसआईसी अनिवार्य किया जाना चाहिए।
बारों में महिलाओं से काम लिया जाता है
बारों के किचन व बार की साफ सफाई के लिए महिला कामगारों का इस्तेमाल किया जाता है। ये पुरुष कामगार से काफी सस्ते होते हैं। इनकी सुरक्षा को लेकर आबकारी विभाग, संबंधित क्षेत्र की पुलिस विभाग कभी कोई हिदायत नहीं बरतती हैं। इसलिए बहुत ही गरजू महिलाएं व युवतियां ही अपनी आबरू को ताक पर रख बार में काम करती है।
देर रात तक तक गैरकानूनी रूप से बार खुले रहते
बार के खोलने व बंद करने का समय आबकारी विभाग ने लाइसेंसियों को शुरुआत में दे रखा है। लाइसेंस मिलते ही बार संचालक अपनी मर्जी से सुबह खोलकर बैठ जाते हैं और देर रात याने पहटिया बंद करते हैं। लाइसेंस के नियम की अवहेलना से आबकारी व पुलिस विभाग वाकिफ होने के बाद भी आज तक लाइसेंसियों को दिए गए छूट के पीछे महज एकमात्र कारण यह है कि लाइसेंसी दर माह कीमत चुकाते हैं।
उल्लेखनीय यह है कि इसके लिए आबकारी विभाग के सम्बंधित निरीक्षक को १००० से ३००० मासिक देन दी जाएगी। यातायात पुलिस व सम्बंधित थाना भी देन से बंध जाएंगे, ताकि कोई अनहोनी घटना होने पर प्रशासन बार संचालक की ओर से खड़ी रहे। देर रात तक शुरू रहने वाले बारों में अपराधियों का रोजाना जलसा देखा जा सकता है। इन बारों में जमीन बिक्री, जमीन हथियाने, सट्टे, जुए के व्यवसाय काफी फलते-फूलने का क्रम फिर एक बार शुरू हो जाएगा।