Published On : Fri, Jan 5th, 2018

मनपा स्कूल परिसर में ही शिक्षिका ने बनाया गार्डन


नागपुर: अमूमन देखा जाए तो मनपा की स्कूल में शिक्षक अपना काम करने के बाद अपने घर लौट जाते हैं. लेकिन स्कूल को अपना घर समझकर उसे सवांरने में योगदान ऐसे शिक्षकों के उदाहरण सरकारी स्कूल में नहीं के बराबर देखने को मिलते हैं. लेकिन मकरधोकड़ा की इस स्कूल में शिक्षिकों के प्रयासों ने कीचड़ में भी फूल खिलाने का काम किया है. इस स्कूल परिसर में ही कुछ खाली जगह थी जहां गन्दगी काबिज रहती थी. लेकिन स्कूल की इसी खराब जगह पर शिक्षिका ममता पांडे ने अपने घर से लाकर फूलों और तुलसी के पौधे लगाए हैं. और ममता मैडम की ही मेहनत का नतीजा है कि अब यहां एक सुन्दर बगीचा दिखाई देता है और विद्यार्थी यहां आकर बैठते हैं. ममता पांडे का बच्चों को कविता रटाने का तरीका भी काफी अच्छा है गाने की तर्ज पर विद्यार्थी कविता बोलते हुए दिखाई दिए. पिछले 10 साल से मैडम यहां शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं.

नागपुर महानगर पालिका की स्कूल भले ही कई तरहों की परेशानियों से जूझ रही है. नागपुर टुडे की ओर से नागपुर की मनपा की स्कूलों का आखों देखा हाल दिखाने की कोशिश की जा रही है. जिसमें यह देखा गया है कि विद्यार्थियों की संख्या स्कूल में बढ़ाने के लिए शिक्षक प्रयासरत हैं. लेकिन मनपा और राज्य सरकार स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए कोई भी नई सोच विद्यार्थियों के अभिभावक तक पहुंचाने में नाकाम साबित हुए हैं. काटोल रोड के मकरधोकड़ा हिंदी उच्च प्राथमिक शाला नागपुर महानगर पालिका की अब तक दिखाई गई स्कूलों के मुकाबले ठीक दिखाई दी. स्कूल की इमारत अच्छी है. स्कूल पहली से लेकर सातवीं तक है. इसमें विद्यार्थियों की संख्या 140 है तो वहीं इन्हे पढ़ाने के लिए 9 शिक्षक समेत दो चपरासी भी हैं. स्कूल में कोई भी अस्थायी शिक्षक नहीं है. सभी विषयों को पढ़ाने के लिए यहां शिक्षक मौजूद है जो एक मनपा स्कूल के हिसाब से अच्छी बात है.


विद्यार्थियों की पढ़ाई और उनके लिए सुविधा
नर्सरी से लेकर चौथी क्लास तक स्कूल सुबह 7:15 से लेकर दोपहर 12: 15 तक होती है दोपहर 12:20 बजे से लेकर शाम 5 :20 तक पांचवीं से लेकर सातवीं तक के बच्चे यहां पढ़ने आते हैं. अंदर क्लास में जाकर देखने पर विद्यार्थियों की संख्या ठीक दिखाई दी. एक छात्रा से जब सवाल पूछा गया तो उसने उस प्रश्न का जवाब भी सही दिया. अब बात करते है सुविधा की. यहां पर शौचालय की व्यवस्था भी इतनी खराब नहीं है. हालांकि पीने के पानी की व्यवस्था ज्यादा अच्छी नहीं दिखाई दी. विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से नल कम है. स्कूल में आनेवाले ज्यादातर विद्यार्थी मकरधोकड़ा, गंगानगर और आसपास से ही हैं. ज्यादातर देहाड़ी मजदूरों के बच्चे इस स्कूल में पढ़ते हैं. स्कूल में शिक्षिकाओं की ओर से विद्यार्थियों को अच्छे से पढ़ाने की कोशिश भी जारी है.

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क्या कहती हैं स्कूल प्रभारी
स्कूल की इंचार्ज पुष्पा इमैन्युल डेनिएल ने बताया कि पहले स्कूल में 110 विद्यार्थी थे. लेकिन अब 140 विद्यार्थी है. यानी इस स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को लेकर स्कूल के शिक्षक और शिक्षिकाएं काफी सतर्क रहते हैं. विद्यार्थियों को पढ़ाने और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए भी यहां के शिक्षक प्रयासरत हैं. उन्होंने बताया कि वे पिछले 11 वर्षों से इस स्कूल में पढ़ा रही हैं.







—शमानंद तायडे

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